बाघ की दहशत से ग्रामीणजन परेशान

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वारासिवनी(पद्मेश न्यूज)। वारासिवनी जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत खापा से बोदलकसा मार्ग पर हिंसक वन्य प्राणी बाघ की आमद के बाद से ग्रामीणों में दहशत बनी हुई है। जिसको लेकर किसानों एवं ग्रामवासियो में काफी आक्रोश व्याप्त है जिनके द्वारा वन विभाग से उक्त हिंसक वन्य प्राणी को अन्यंत्र स्थान पर ले जाने की मांग की जा रही है ताकि ग्रामीणों के द्वारा समय रहते अपने खेती कार्यों को संपादित किया जा सके। किंतु वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में भारी दहशत का वातावरण बना हुआ है जहां पर लोग खेत जाने के साथ उक्त मार्ग पर आने-जाने में भी संकोच कर रहे हैं की बाघ के द्वारा उन पर हमला ना कर दे। जिसको लेकर हर कोई घबराया हुआ है जो काफी सचेत होकर और सामूहिक रूप से कहीं भी आना-जाना कर रहे हैं क्योंकि ग्राम के कुछ लोगों के द्वारा बाघ को स्पष्ट रूप से देखा गया है।

लंबे समय से बाघ की है दहशत

खापा से बोदलकसा मार्ग पर बीते करीब 2 वर्ष से बाघिन और उसके शावक की उपस्थिति बनी हुई है। जिनके द्वारा उक्त क्षेत्र में लगातार भ्रमण कर मवेशियों को घायल किया जा रहा है। इस दौरान लोगों के द्वारा उनकी उपस्थिति स्पष्ट रूप से देखी भी जा रही है। जिस पर वन विभाग के द्वारा संघन गस्त करने की बात कही जा रही है परंतु वर्तमान तक उक्त बाघिन और उसके शावक का मूमेंट को नहीं बदला जा सका है। जहां बीते दिनों बोदलकसा निवासी चित्रसिंह बिसेन के खेत में धान कटाई का कार्य चल रहा था। जहां उन्होंने मवेशियों को छोड़ा हुआ था तभी जंगल से एक हिंसक वन्य प्राणी बाघ के द्वारा उनकी एक गाय का शिकार कर लिया गया। इस दौरान घर की महिला के द्वारा सामने से बाघ को देखा गया जो दहशत के कारण अपने स्थान से भाग भी नहीं पाई। इसमें यह अच्छा रहा की हिंसक वन्य प्राणी ने महिला को कुछ नहीं किया इसके बाद आसपास के लोग चीखने की आवाज सुन पहुंचे परंतु वह गाय को लेकर जंगल की ओर चले गया।  विभाग ने दो-तीन दिवस तक सघन गस्ती भी की गई परंतु इस घटना के बाद लोगों में दहशत और आक्रोश दोनों भरा हुआ है।

खेतों में पसरा सन्नाटा

हिंसक वन्य प्राणी बाघ की आमद से ग्रामवासियों के साथ किसानों में सबसे ज्यादा भय बना हुआ है। वर्तमान में हर कोई खेतों की तरफ जाने से इनकार कर रहा है जहां पर पूरी तरह सन्नाटा पसरा पड़ा है। इसका असर उक्त स्थान से दूर तक और सड़क किनारे भी देखने के लिए मिल रहा है। जहां पर परिवार के साथ या पड़ोसी किसानों के साथ लोग झुंड बनाकर जरूरत पर खेत आ रहे हैं। जो अपना पुराना काम कर रहे हैं परंतु गेहूं बुवाई पर ध्यान नहीं दे रहा है। इस दौरान कई किसानों ने तो गेहूं लगाने से भी इंकार कर दिया है कि जान रहेगी तो और खेती कमा लेंगे। इस तरह बाघ की दहशत लोगों में भारी पड़ी है बीते दिनों हुई घटना के बाद किसानों के द्वारा अंतिम बार सामूहिक रूप से जाकर अपने कार्य को संपन्न किया गया था। मशीन से चुराई कटाई करने के बाद धान घर ला लिया गया है इसके बाद खेतों में देखा तक नहीं है। जबकि यह सभी नदी किनारे के किसान है परंतु जंगल में बाघ की उपस्थिति में बार-बार परेशान कर रही है।

बाघ की दहशद से ग्रामीणों में आक्रोश है – शैलेस मर्सकोले

किसान शैलेश मर्सकोले ने बताया कि मैं खापा रहता हूं बाघ मर्यान तरफ नदी किनारे जंगल है उधर उसका आना-जाना लगा रहता है। वहां पर हमारा भी खेत है परंतु हम जा नहीं रहे डर बहुत ज्यादा है सभी एकजुट होकर जाते हैं। पहले जैसा बैलगाड़ी का उपयोग करते थे अब वह नहीं होता है मशीन से सभी ने अपना खेती कार्य संपन्न किया है। सूर्य आसमान में रहते ही वापस घर आ जाते हैं शाम होने नहीं देते और घटना के बाद सभी लोग एकजुट होकर गए थे। सभी अपना-अपना कार्य कर वापस लौट गए अभी उधर आना-जाना पूरी तरह बंद है। हम यहां रोड पर बहुत दूर पर भी खेत में आ रहे हैं तो परिवार के साथ आते हैं गेहूं की रोपाई में अभी कोई ध्यान नहीं दे रहा है। हम भी मुश्किल से आ रहे हैं पूरा सन्नाटा फैला हुआ है फॉरेस्ट विभाग को हिंसक वन्य प्राणी बाघ को दूसरे स्थान पर ले जा लेना चाहिए पिछले सप्ताह से कोई दिखे नहीं है।

आसमान से सूर्य ढलने के पहले घर जाना पडता है दहशत बनी रहती है-पन्नालाल मरठे

राहगीर पन्नालाल मरठे ने बताया कि मैं बुदबुदा के धोबीटोला का रहने वाला हूं यह रास्ता वारासिवनी के लिए सीधा कम दूरी का पड़ता है। खापा में रुकना रहता है वारासिवनी से कोई सामान खरीदना रहता है इसलिए यहां से हम जाते हैं। रोड किनारे समधी का घर है तो वहां बैठकर बेटी से मुलाकात करूंगा और इसी मार्ग से हम आते जाते हैं। 6 महीने हो गए बाघ की दहशत के बारे में हम सुन रहे हैं हमें भी पता है अभी बीच में एक घटना हुई थी फिर रोड क्रॉस करता है ऐसा सुनने में आया था। शाम को हम इस मार्ग से आना जाना नहीं करते हैं सुबह जाते हैं और आसमान में सूर्य ढलने के पहले ही आ जाते हैं। डर तो हमें भी लगता है लोगों ने भी उसे देखा हुआ है हर किसी में डर है पर आपातकाल में जाना पड़ता है। क्योंकि बुदबुदा से वारासिवनी मुख्य मार्ग से बहुत लंबा हो जाता है वन विभाग के लोग घूमते हुए दिखते हैं पर यह जो रास्ता  है बहुत खराब है कभी भी कोई धोखा हो सकता है।

खेत जाना है तो सामूहिक रूप से जाना पडता है- चित्रसेन बिसेन

किसान चित्रसिंह बिसेन ने बताया कि हमारा खेत नदी किनारे है जहां पर हमारी गाय चर रही थी तभी जंगल की तरफ से बाघ आया और उसने हमारी गाय का शिकार कर लिया। इस दौरान बाघ को हमारी भाभी ने देखा उसके बाद से हर किसी में दहशत बनी हुई है। कभी भी वह किसी पर भी हमला कर सकता है इसके पहले हमारे भाई के मवेशी पर हमला किया था। अभी तो हम लोग कोई खेत नहीं जा रहे हैं कोई काम नहीं कर रहे हैं गांव में रहते हैं यदि आपातकाल में जाना भी होता है तो 6 लोग सामूहिक रूप से जाते हैं। यह घटना जब हुई थी तो उस समय सामूहिक रूप से ग्रामीणों ने जाकर अपना कार्य गहानी को पूरा किया था। उसके बाद से कोई नहीं गया है जानवर कभी भी हमला कर सकता है वहां पर बोदलकसा के8 किसान, खापा के करीब नौ किसानों का खेत है। बाकी और दूर दराज में लोगों के खेत है सभी में डर लगा हुआ है।

इनका कहना है

दूरभाष पर चर्चा में बताया कि दक्षिण सामान्य और परियोजना दोनों वन विभाग की टीम के द्वारा उक्त क्षेत्र में गस्ती कर भ्रमण किया जा रहा है। किसानो और ग्रामीणों को जागरूक करने का भी कार्य किया जा रहा है वहां बाघ का मूवमेंट बना हुआ है किंतु वर्तमान में निगरानी की जा रही है

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