लालबर्रा मुख्यालय से लगभग १२ किमी. दूर ग्राम पंचायत भांडामुर्री में आये दिन हिंसक जंगली जानवरों का आतंक बना हुआ है एवं जंगल से सटे होने के कारण जंगली जानवर गांव की ओर अपने शिकार की तलाश में बढ़ रहे है।
गत १२ अप्रैल को बाघ के हमले से ५० वर्षीय सुकलचंद बोरवार का उपचार के दौरान मौत हो गई थी साथ ही बार-बार बाघ गांव के समीप दिखाई देने से भांडामुर्री के ग्रामीण दहशत में जी रहे थे।
वन विभाग के द्वारा बाघ को पकडऩे के लिए जंगल में पिंजरा लगाया गया था परन्तु गत २५ अप्रैल को बाघ के स्थान पर तेंदुआ पिंजरे में कैद हो गया था जिसे वन विभाग ने घने जंगल में सुरक्षित स्थानों पर छोड़ दिया था।
पहले तेंदुएं के पकड़ जाने के बाद से दूसरा तेंदुआ गांव के नजदीक रात के समय दहाड़ता रहता था जिससे ग्रामीणजन दशहत में थे और वन विभाग के द्वारा दुसरे तेंदुएं को पकडऩे के लिए दोबारा जंगल में पिंजरा लगाकर उसमें बकरी बांध दिया था ताकि तेंदुएं बकरी का शिकार करने आये और पिंजरे में कैद हो जाये।
७ मई की सुबह ५ बजे नर तेंदुआ पिंजरे में कैद हो गया जिसकी जानकारी वन विभाग के कर्मचारियों के द्वारा वन परिक्षेत्र अधिकारी ‘ज्योत्स्ना खोब्रागढ़े व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई जिसके बाद वन विभाग का अमला घटना स्थल पहुंचकर पिंजरे सहित तेंदुएं को घने जंगल के अंदर ले जाकर सुरक्षित स्थानों पर छोड़ दिया है।
इस तरह वन विभाग ने बाघ को पकडऩे के लिए लगाये पिंजरे में दो बार तेंदुआ ही कैद हुआ है जिससे ऐसा लग रहा है कि बाघ उसी क्षेत्र में है साथ ही बाघ व अन्य वन्यप्राणी बार-बार गांव के समीप दिखाई दे रहा है जिससे ग्रामीणजन दहशत में जीवन यापन कर रहे है।
लामता परियोजना मंडल बालाघाट वन परिक्षेत्र लालबर्रा वन परिक्षेत्र अधिकारी ज्योत्सना खोब्रागढ़े ने बताया कि भांडामुर्री के जंगल में बाघ को पकडऩे के लिए पिंजरा लगाया गया था परन्तु गत दिवस पिंजरे में तेंदुआ कैद हो गया था उसके बाद उसका दुसरा साथी जंगल में रातभर दहाड़ता रहता था जिससे ग्रामीणजन दहशत में थे और उसे पकडऩे के लिए दोबारा जंगल में पिंजरा लगाया गया था जिसमें नर तेंदुआ ७ मई की सुबह पिंजरे में कैद हो गया जिसे सुरक्षित घने जंगल में छोड़ दिया गया है एवं ग्रामीणजनों को जंगल व खेत जाने से मना कर दिया है साथ ही यह भी बताया कि बाघ का मुवेंट गांव के समीप दिखाई नही दे रहा है।










































