आखिरकार किसान को उसकी फसल का उचित दाम कब मिलेगा यह समस्या कई वर्षो से बनी पड़ी है। किसान मेहनत कर जब अपनी लहलहाती फसल की तरफ देखता है तो उसे यह उम्मीद रहती है की इस वर्ष उसकी फसल का उसे सही दाम बाजार में मिलेगा मगर ऐसा हो नही पाता ऐसे में किसान अन्यत्र स्थानों पर अपनी फसल बेचने के लिये मजबूर हो जाता है। वर्तमान समय में भी अन्यत्र स्थानों से किसान अपनी फसल को लेकर वारासिवनी धान मंडी बेचने आ रहे है। मगर उन्हे भी निराशा ही हाथ लग रही है। इसमे भी कुछ किसान ऐसे है जो बालाघाट गोंगलई मंडी न जाते हुये हट़्टा व उसके आसपास के रहवासी है जो उचित दाम के चक्कर में वारासिवनी धान मंडी में अपनी उपज लेकर आ रहे है। फिर भी उन्हे प्रति क्ंिवटल जो दाम मिलना चाहिये वो नही मिल पा रहा है। जिसमें उनमे हताशा व्याप्त है।
बालाघाट हट्टा से आये है उपज बेचने – राधेश्याम
इस संबंध में बालाघाट हट्टा निवासी राधेश्याम भास्कर ने पद्मेश को बताया की वे बालाघाट के आगे पडऩे वाले हट्टा के निवासी है। जो अपनी फसल बेचने करीब ४० किलोमीटर दूर का फासला तय कर वारासिवनी धान मंडी आये है। फसल तो बिक गई मगर उन्हे वो दाम नही मिला है जिसका वे हकदार है। उन्होने बताया कि जिस दाम में अपनी उपज को बेचना चाहते थे उस तरीके का दाम उन्हे नही मिला है। वर्तमान में उनकी बारिक धान २७ सौ रूपये में बिकी है जबकि यह धान ३२ सौ से ३३ सौ रूपये तक बिकनी थी। इस हिसाब से भी उन्हे काफी नुकसान हुआ है। वही उन्होने बताया की गोंगलई मंडी संभवता बंद है मगर उस मंडी में भी पूर्व समय बेची गई धान का सही मूल्य प्राप्त नही हुआ ऐसे में उन्होने वारासिवनी मंडी का रूख किया है जहा कुछ दाम बढ़कर जरूर मिला है। मगर वो भी नाकाफी साबित हुआ है।
बारिक धान का नही मिल पा रहा मूल्य – जनेन्द्र
किसान जनेन्द्र बिसेन ने पद्मेश को बताया कि उन्होने मोटा धान तो समर्थन मूल्य पर खरीदी केन्द्र में बेचा है। मगर बारिक धान को बेचने के लिये वे वारासिवनी धान मंडी आये है। मगर बारिक धान का भी मूल्य मन मुताबिक नही मिल रहा है। व्यपारी इस धान को २७ सौ से २७ सौ ५० रूपये में खरीद रहे है जबकि हमे इसका मूल्य करीब ३५ सौ रूपये मिलना चाहिये। ऐसा लगता है की अब खेती करना ही बंद करना पड़ेगा क्योकि जो लागत लगाई जा रही है उसकी लागत भी नही निकल पा रही है। ऐसे में शासन को इस और ध्यान देना चाहिये। क्योकि किसान काफी मेहनत कर फसल पकाता है मगर जब उसे उस फसल का मेहताना भी न मिले तो किसान निराश हो जाता है।
व्यपारी गण लगा रहे बोली के दौरान कम मूल्य – शीतल
कृषक शीतल प्रसाद बसेने ने पद्मेश को बताया की वे भी अपनी बारिक धान जय श्री राम बेचने आये हुये है मगर व्यपारियों ने उनकी धान का मूल्य बोली के दौरान लगाया है वो काफी कम है। धीरे धीरे क्षेत्र का किसान खेती कार्य करने से गुरेज करेगा और अन्य कार्य की तरफ मुड़ जायेगा। ऐसे में हमारे क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को इस मामलें में सरकार से चर्चा कर किसान को फसल का उचित दाम दिलवाये जाने की कवायद करनी चाहिये।
मिलिंग होने के बाद चॉवल के रूप में बिकता है ५ हजार से अधिक दाम पर
यहा यह बताना लाजमी है की वर्तमान में अन्यत्र स्थान व क्षेत्र के किसान बड़ी संख्या में उचित मूल्य पाने के लिये वारासिवनी धान मंडी अपनी उपज बेचने के लिये पहुॅच रहे है। मगर उन्हे धान का उचित दाम नही मिल रहा है। बताया जा रहा है की जो बारिक जय श्री राम व अन्य वैरायटी की धान वे बेचने आ रहे है। ऐसे में किसान को उसकी उपज का पर्याप्त दाम नही मिल पा रहा है।