बालाघाट : जिसके पास ‘‘लाठी’’.. उसका ट्रांसफर..!

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मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा टीचरों के ट्रांसफर के बेन खोलकर आवेदन मांगे गए। जिसकी अंतिम तारीख 18 जुलाई रखी गई थी। लेकिन पूरी प्रक्रिया के दौरान ट्रांसफर की चाह रखने वाले टीचरों के सामने एक बड़ी समस्या यह बनी रही कि शिक्षा विभाग के पोर्टल में कहीं भी मिडिल से लेकर हायर सेकेंडरी स्कूल में शिक्षकों के पद रिक्त होने की जानकारी नहीं दिखाई गई? जिससे टीचरों के भीतर यही सवाल और  चर्चा का विषय बना रहा जब स्थान खाली नहीं तो कैसा हो पाएगा ट्रांसफर?
ट्रांसफर पहेली से कम नहीं

पद्मेश न्यूज़ ने ट्रांसफर नीति और पूरे मामले की जांच पड़ताल की तो सच में मध्यप्रदेश शासन द्वारा वर्तमान दिनों में किए जा रहे ट्रांसफर किसी पहेली से कम नहीं लगे?  चलिए हम धीरे-धीरे इस पूरी पहेली को आपके सामने विस्तार से बताने और समझाने की कोशिश करते हैं। जिससे आपको भी समझ आ जाएगा कि आखिर हम क्यों कह रहे हैं जिसकी लाठी उसी का होगा ट्रांसफर?
3 वर्षों से अपडेट नहीं पोर्टल

मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा टीचरों की ट्रांसफर के लिए बीते दिनों बैंन खोल दिए गए और आवेदन मांगे गए टीचरों ने दूसरे जिले या फिर अपने जिले के भीतर अन्य स्कूल में ट्रांसफर के लिए जब शिक्षा विभाग का पोर्टल सर्च किया तो उनके होश उड़ गए? दरअसल शिक्षा विभाग द्वारा भोपाल स्तर से पोर्टल को बीते 3 वर्षों से अपडेट नहीं किया गया है? इस कारण मिडिल हाईस्कूल और हाई सेकेंडरी स्कूल में टीचरों के पद कहीं भी खाली नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में ट्रांसफर की चाह रखने वाले टीचरों के सामने बड़ी दुविधा खड़ी हो गई। आखिर वह कैसे ट्रांसफर के फॉर्म में चॉइस फिलिंग की स्थान पर मनचाहे स्कूल का स्थान और नाम लिखे।
भोपाल स्तर से चल रहा खेल

इस दौरान जब हमने और अधिक पड़ताल की तो पता चला कि भोपाल स्तर से ही पोर्टल को अपडेट नहीं किए जाने का पूरा खेल चल रहा है। जिला स्तर से जिले के भीतर स्कूलों की स्थिति और वहां पर रिक्त पदों की जानकारी पहले से भेज दी गई है। इसके बाद भी कई बार भोपाल स्तर से पत्राचार किया जा रहा है कि जानकारी और भेजने के आदेश दिए जा रहे है। लेकिन भोपाल स्तर से पोर्टल को अपडेट नहीं किया जा रहा है। जिस कारण टीचरों के खाली पदों की कोई जानकारी नहीं मिल पा रही।
12 सौ टीचरों ने किया आवेदन

फिर कैसे टीचर ट्रांसफर का फॉर्म भरकर सबमिट कर रहे है, बावजूद इसके अकेले बालाघाट जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में 1200 टीचरों ने ट्रांसफर का आवेदन जमा किया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ट्रांसफर की चाह रखने वाले टीचरों उनके परिजनों द्वारा स्कूल-स्कूल पहुंचकर स्कूल सर्वे किया गया और उसके आधार पर रिक्त पदों की जानकारी ली गई,  और फिर ट्रांसफर के फॉर्म में चॉइस फिलिंग की गई। लेकिन क्या इन सब से उनका ट्रांसफर उनके मनचाहे स्थान पर हो जाएगा?  यह बड़ा सवाल जब उठ रहा है जब भोपाल स्तर पर ही पोर्टल को अपडेट नहीं करने जानकारी छुपाने जैसे बड़ा खेल चल रहा है।
वजन देखकर होगा ट्रांसफर

आपको बता दें कि बालाघाट जिले की भीतर कोरोना काल के दौरान एक सैकड़ा से अधिक टीचरों का निधन हो गया। दूसरी ओर बीते 3 वर्ष के दौरान 2 सैकड़ा से अधिक टीचर रिटायर्ड हो गए उनके स्थान पर जिले के कई स्कूलों में अतिथि अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जब सब कुछ मालूम है और बार-बार जिला स्तर से जानकारी भोपाल स्तर पर भेजी जा रही है, इसके बाद भी वहां पर पोर्टल अपडेट नहीं किया जा रहा, तो इसके पीछे यही समझ में आ रहा कि जिसकी लाठी मतलब नेता नगदी से लेकर चढ़ोत्तरी में जितना वजन होगा उसी का स्थानांतरण हो सकेगा? बाकी सब तो स्थानांतरण की चाह लिए केवल जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के चक्कर लगाते अपना समय पास कर रहे हैं।

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