कोरोना की वजह से पूरी दुनिया बीते 2 वर्षों के दौरान बदल सी गई है। महामारी की वजह से कोरोना कर्फ्यू और लॉकडाउन ने हर वर्ग को प्रभावित किया जिसमें आज रोजगार और शिक्षा के विषय मे यह खास रिपोर्ट दिखाने जा रहे है। कैसे लोगों के रोजगार चुने तो उससे उनका पूरा परिवार प्रभावित हो गया सबसे ज्यादा मार बच्चों की पढ़ाई पर पड़ी। बंद स्कूलों में लटके तालों ने जब शासन प्रशासन के माथे जोर दिया तो शिक्षा की बे-पटरी व्यवस्था को ऑनलाइन के माध्यम से सुधारने की कुछ कोशिश की गई, लेकिन इस व्यवस्था ने कमजोर वर्ग और संपन्न वर्ग के बच्चों के बीच ऑनलाइन पढ़ाई की बड़ी खाई खींच कर रख दी।
शासन ने शिक्षा की व्यवस्था को सुचारू करने के लिए ऑनलाइन पढ़ाई तो शुरू करवा दी, लेकिन उसके पहले इस बात का कहीं से भी ध्यान नहीं रखा की गरीब तबके के लोग जो दो वक्त के आटे के लिए मेहनत मजदूरी करते हैं उनके पास पढ़ाई करने के लिए डाटा तो दूर मोबाइल भी उपलब्ध नहीं है।
उस पर कोरोना सक्रमण महामारी की वजह से लोगों के काम धंधे बंद हो जाना बेरोजगारी की मार ने मध्यमवर्ग से लेकर गरीब वर्ग तक के लोगों की आय प्रभावित होना।
इसका सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरी, फेरी और फुटपाथ पर दुकान लगाने वालो से लेकर मेहनत मजदूरी करने वालों पर दिखाई दिया। शासन की इस ऑनलाइन पढ़ाई ने वर्षों बाद अमीर और गरीब बच्चों की शिक्षा के मामले में अमीर और गरीब दोनों वर्गों को अलग-अलग पाटे में बांट दिया। जिसके पास सुविधा थी उनके बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं जिनके पास सुविधा नहीं है वे मजबूर और परेशान हैं।
हमने शहर के स्लम एरिया के लोगों से जब चर्चा की तो वहां के बड़े बुजुर्ग समझदार लोगो से लेकर बच्चे जिन्हें आर्थिक स्थिति शब्द का अर्थ भी पूरा पता ना हो वह भी कह गए की घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है इसलिए मोबाइल नहीं ले सकते इस कारण पढ़ाई नहीं हो पा रही है।










































