क्या पिकनिक मनाने आई है जाँच टीम ? : उमेश बागरेचा

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By : Umesh Bagrecha

बालाघाट (पद्मेश न्यूज) । कोविड काल के दौरान बालाघाट में अनियमितताएं यदि नही हुई है तो पिछले लगभग एक सप्ताह से बाहर से आकर अधिकारियों की टीम क्या पिकनिक मनाने आई है । पिछले दो दिनो से बालाघाट एक्सप्रेस में कोविड काल के दौरान स्वास्थ्य विभाग एवं तथाकथित एक निजी मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के बारे जो कुछ प्रकाशित किया गया है ,उसे लेकर संबंधित पक्ष अखबार प्रबंधन के प्रति काफी आक्रोशित है। बावजूद इसके हम आज भी इस बात पर कायम है कि बालाघाट में स्टेट तथा सेंट्रल की टीम आई है और वह प्रकाशित समाचार के संदर्भ में जांच कार्यवाही कर रही है, अब जांच में क्या निकलेगा वह तो हमें पता नहीं, और यदि ये बात झूठी है तो संबंधित विभाग या प्रशासन प्रेस कांफ्रेंस करके इन बातों का खण्डन कर दें। लेकिन साथ में यह भी बताएं कि प्रभात साहू नामक शख़्स कौन था जो निजी होटल में रुका हुआ था और यह भी बता दें कि भरवेली स्थित मॉयल के रेस्ट हाउस में प्रशासन द्वारा किसे रुकवाया गया था ? साथ ही यह भी बताएं कि ये अधिकारी बालाघाट में क्या करने आए हैं और कहां- कहां गए थे? सीएमएचओ से पिछले 3 दिनों से हमारे द्वारा रोज इस टीम के बारे में पूछा जा रहा है लेकिन वे किसी भी अधिकारी के आगमन एवं जॉच से इंकार कर रहे हैं। ड्रग इंस्पेक्टर मनीषा धुर्वे तो फोन रिसीव ही नहीं करती। जब अधिकारी फोन रिसीव नहीं करेंगे या किसी बात को सिरे से खारिज करेंगे तो कैसे वास्तविकता ज्ञात होगी। हमें जो जानकारी लगी है उसके अनुसार आज भी जांच अधिकारी तथाकथित मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल गए थे। इस संबंध में हमारे रिपोर्टर ने जब उक्त हॉस्पिटल के संचालक से फोन पर सच्चाई जानना चाहा तो वे हमारे प्रति काफी आक्रोशित थे, क्रोध में हमें घटिया पत्रकारिता करने तथा पीत पत्रकारिता करने के तमगे से भी नवाज़ दिया । यह तो जनता ही फैसला कर सकती है कि ‘‘बालाघाट एक्सप्रेस’’ किस तरह की पत्रकारिता में विश्वास रखता है। खैर संचालक महोदय का कहना था कि उन्होने अपना परिसर कोविड सेंटर हेतु किराए से दिया था, प्रशासन ने इस सेंटर में क्या सामग्री लगाई क्या नहीं, ये उनका विषय है , प्रशासन ने जो भी सामान वहां लाया था सभी सामान वापस ले गया, हमारे संस्थान के नाम को जबरदस्ती घसीटा जा रहा है। यहां मैं बता दूं कि कोविड सेंटर जिस परिसर में स्थापित हुआ था उसके नाम का उल्लेख तो होगा ही क्योंकि सामग्री जहां लगी होना बताया जाएगा उसका नाम तो आयेगा ही, हमने अखबार में इतना ही उल्लेख किया है । अब ये तो प्रशासन ही बताएगा कि सामग्री कहां है ? रही बात आयुष्मान योजना के तहत राशि का तो सवाल तो है कि अधिकारी काहे की जांच में आए है, प्रशासन खुलासा करे ताकि जो विषय चल रहा है उसका पटाक्षेप हो सके। इस मुद्दे से हटकर एक बात और उल्लेखनीय है कि अचानक हॉस्पिटल से चोरी हुए सिलेंडर कल वापस आ गए। आखिर ये कहां से और कैसे वापस आ गए, क्या मैनेज करके कहीं और से लाए गए, इतने दिनो से ये सिलेंडर किसे स्वच्छ हवा दे रहे थे, या ये जांच टीम के आने का कमाल है। सबसे बड़ा सवाल स्टोर कीपर कामड़े पर है कि क्यों अभी तक उसके खिलाफ कार्यवाही नहीं की गई और तो और उसे हटाया तक नहीं गया? बहरहाल टीम तो आई है, जांच भी कर रही है, जांच अधिकारियों पर दबाव भी आ रहा है, दबाव कैसा और किन- किन माध्यमों से आता है आप पाठक बेहतर जानते है ,ऐसे मामलों के नतीजे भी हम सब जानते हैं । इसलिए इंतजार रहेगा कि कितनी लीपा -पोती हो पाती है?

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