अब आदिवासी गांवों में भी व्यर्थ बहते हुए पानी का महत्व लोग समझने लगे हैं। इसके लिए पूरा गांव एकजुट हो गया है और पानी का कतरा कतरा सहेजने घर-घर में सोक पिट बनाने घर की महिलाएं हाथों में कुदाली फावड़ा लेकर गड्ढे खोदना शुरू कर दिया। इसका उदाहरण बैहर तहसील के बिरवा पंचायत में देखने को मिल रहा है। एक सप्ताह के भीतर 300 से अधिक घरों की बाडय़िों में सोक पिट बनाने के लिए गड्ढे खोदकर तैयार कर लिए गए है। ऐसा करने से जल संरक्षण ही नहीं होगा बल्कि आगामी भीषण गर्मी में भी कुओं, हैंडपंपों में जल स्तर बना रहेगा। मनरेगा योजना से बनाए जा रहे सोक पिट से गांव में लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।
12 जून से पूरे गाँव ने शुरू किया सोकपिट बनाने का काम
ग्रामीण लालसिंह मेरावी, झामसिंह परते, मेहताब परते, भूपेंद्र टेकाम, कमलेश टेकाम बताते है कि पंचायत सोक पिट सभी घरों में बनाने के लिए मुनादी करवाई। फिर उसके बाद पंचायत के ग्राम प्रधान समेत पंचायत की पूरी बॉडी द्वारा घर-घर जाकर जल संरक्षण का महत्व समझाया। सोक पिट बनाने प्रेरित किया गया। क्योंकिपहले घर का निस्तार किया हुआ पानी खाली जगह में बहते रहता था। पंचायत की पूरी बॉडी ने समझाइश दी किसोक पिट में जल संरक्षण करने से जल स्तर बना रहता है। इसीलिए 12 जून से हर घर-घर में महिला, पुरूष सोक पिट के लिए गड्ढे खोदना शुरू कर दिए है। एक सप्ताह के भीतर 300 घरों में गड्ढे तैयार कर लिए गए है। जहां पर तीन से चार दिन में सोक पिट तैयार करवा दिए जाएंगे। पंचायत में जल संरक्षण को लेकर पिछले पांच साल में आठ तालाब भी खनन कराए गए है।
हितग्राही मूलक योजना के तहत कराया जा रहा काम- रितेश चौहान
वही मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान जनपद पंचायत बैहर सीईओ, रितेश चौहान ने बताया कि तहसील के प्रत्येक शासकीय भवनों में जल संरक्षण करने के लिए मनरेगा से वाटर हार्वेस्टिंग बनाने निर्देश है। इसके अलावा प्रत्येक पंचायत में आंगनबाड़ी भवन में भी वाटर हार्वेस्टिंग बनाने के निर्देश प्राप्त हुए है। पंचायतों में भी हितग्राही मूलक योजना से सोक पिट बनाने के निर्देश है।इससे अब हर गांव में जल संरक्षण हो सकेगा।
ग्रामीणों ने जल संरक्षण का महत्व जान लिया है-बदन सिंह मेरावी
इस पूरे मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान ग्राम पंचायत बिरवा के ग्राम प्रधान बदन सिंह मेरावी ने बताया कि पंचायत में 450 मकान है सभी घरों में सोक पिट के लिए गड्ढे तैयार किए जाना है इससे जल संरक्षण होगा। मनरेगा से हो रहे काम में गड्ढे खोदने वाले को भुगतान भी करवाया जाना है।