पिछले दिनों बालाघाट सहित पूरे प्रदेश में गरीबों की थाली में अमानक चावल परोसा गया था ।पोल्ट्री ग्रेड के अमानत चावल को राशन दुकान के माध्यम से बाटे जाने के इस मामले को जब मीडिया ने अपनी सुर्खियों में शामिल किया तो जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकार तक हिल गई और अपनी नींद से बेदार होकर मप्र शासन ने आनन-फानन में एक कमेटी बनाकर जगह-जगह छापे मार कार्यवाही की।वही जिले की कई मिलो को सील करने का काम भी किया गया। इसके अलावा लोग लाज बचाने के लिए कुछ अधिकारियों कर्मचारियों पर निलंबन की भी गाज गिरी। उसके बाद क्या हुआ किसी को कुछ पता नहीं चला लेकिन शासन प्रशासन द्वारा राइस मिलर्स को क्लीन चिट दे दी गई। इन सब के बावजूद भी जिले के कुछ राइस मिलर्स अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं जो ना सिर्फ सरकार को चूना लगाने की फिराक में है बल्कि एक बार फिर से गरीबों की थाली में गुणवत्ता विहीन चावल परोसने की तैयारी भी कुछ राइस मिलर्स द्वारा पूर्ण कर ली गई थी जो नॉन प्रबंधक की जांच में पकड़ी गई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुछ राइस मिलर्स ने अधिकारियों की सांठगांठ के साथ गुणवत्ता विहीन चावल को जमा भी करा दिया था जहां क्यु आई और गोदाम प्रभारी द्वारा गोदाम में आमानक चावल को जमा भी कर लिया गया था सूत्र बताते हैं कि जून माह में जमा किए गए धान के बदले चावल की जब नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक ने औचक जांच की तो एक नहीं दो नहीं बल्कि 9 राइस मिलर्स का लगभग ढाई करोड़ रुपए से ज्यादा का चावल अमानक पाया गया, जहां 667 मैट्रिक टन अमानक चावल पाए जाने पर नान प्रबंधक अमित गोंड ने गोदाम में जमा 9 राइस मिलर्स के 667 मैट्रिक टन चावल को अमानक करार देते हुए इसे वापस कर गुणवत्तापूर्ण और मानक स्तर का चावल प्रदान करने का नोटिस जारी किया है। साथ वारासिवनी के क्यु आई और बैहर के गोदाम प्रभारी को अमानक चावल जमा किए जाने के मामले में लापरवाही मानते हुए शोकॉज नोटिस भेजा है
इन राइस मिलर्स को जारी किया गया नोटिस
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अमानक चावल सप्लाई किये जाने के मामले में 9 राईस मिलर्स को नोटिस जारी किया गया है जिसमें योगेश राईस मिल, मेसर्स रामदेव फूड, रतन राईस मिल ए, रतन राईस मिल बी, सतगुरू राईस मिल, सिद्धिविनायक राईस मिल, हर्ष राईस उघोग, मां जानकी राईस मिल और भगत राईस मिल को नोटिस जारी कर गोदामो में जमा किये गये अमानक चावल को अपने हर्जे-खर्चे पर मानक स्तर का चावल जमाकर अस्वीकृत चावल वापस प्राप्त करें के निर्देश के साथ नोटिस जारी किया गया है।
अनुबंधों का उल्लंघन कर दी गई अमानक की चांवल सप्लाई ?
सूत्रों की मानें तो जिले में कस्टम मिलिंग करने वाले राईस मिलर्स का एक सिंडीकेट है, जो अमानक स्तर के चांवल प्रदाय करने के अवसर की तलाश में रहता है और क्यु आई और गोदाम प्रभारी से सांठगांठ कर वह ऐसा करने में सफल भी हो जाता है। जिसका जीवंत उदाहरण क्युआई और गोदाम प्रभारी द्वारा मानक बताकर जमा किये गये चावल का नॉन प्रबंधक द्वारा क्रास चेक में अमानक बताया जाने का मामला है। सूत्र तो यह भी कहते है कि यदि सूक्ष्मता से और गंभीरता से धान की मिलिंग से लेकर चावल जमा करने की जांच की जायें तो पूर्व में की गई भारत सरकार की टीम द्वारा की गई कार्यवाही की तरह ही पोल्ट्री ग्रेड का चावल मिलेगा। चूंकि मिलिंग और चावल के खेल में राजनीतिक हस्तक्षेप और राईस मिलर्स की राजनीतिक गठजोड़ के कारण न तो पहले सनसनीखेज बड़े मामले में कोई ठोस कार्यवाही हो सकी और न ही अब की जा सकती है, जबकि इस मामले में तो अनुबंधों का उल्लंघन कर अमानक चावल सप्लाई करने वालो पर कड़ी कार्यवाही होना चाहिये। बहरहाल विभागीय अधिकारी का कहना है कि अस्वीकृत बी.आर.एल स्टेक को बदलकर अपने हर्जे-खर्चे पर मानक स्तर का चावल जमा कराकर, अस्वीकृत चावल वापस प्राप्त करने के निर्देश नोटिस में राईस मिलर्स को जारी किये गये है।
जिम्मेदार ही नहीं कर रहे जिम्मेदारी से काम
जिले में वारासिवनी और बालाघाट में ही ज्यादा राईस मिलर्स है, जिसके चलते इन दोनो जगहो पर अतिरिक्त क्युआई की आवश्यकता विभाग को होती है, जिसके चलते वारासिवनी और बालाघाट में अतिरिक्त क्यु रखे गये है, जो राईस मिलर्स द्वारा धान मिलिंग के बाद लाये जाने वाले चावल की जांच कर, उसे गोदाम में राईस मिलर्स के नाम से चावल को स्टाक में जमा करते है। जिले के जिन 9 राईस मिलर्स द्वारा धान की मिलिंग के बाद जून माह में जमा किये गये चावल की जांच कर अमानक चावल को मानक स्तर का बताते हुए वारासिवनी क्युआई और बैहर गोदाम प्रभारी द्वारा जमा किया गया था। उन्हें नॉन प्रबंधक द्वारा शोकॉज नोटिस जारी किया गया है। चूंकि उन्हें चावल की गुणवत्ता मानक स्तर की है कि नहीं? यह परखने का काम दिया गया है, जिसके बाद भी यदि चावल अमानक जमा होता है तो यह एक गंभीर लापरवाही है।
जब चावल अमानक था तो गोदाम में जमा कैसे हो गया?
जिले में अमानक चावल को राशन दुकानों तक पहुंचाने का खेल बरसों पुराना है जिस के मामले भी सामने आ चुके हैं बावजूद इसके भी जिले में अमानक चावल सप्लाई करने का खेल बदस्तूर जारी है सवाल यह है कि क्युआई और गोदाम प्रभारी द्वारा राईस मिलर्स के इन अमानक चावल को जांच के बाद जमा किया था तो उनकी जांच में यह चावल अमानक क्यों नहीं पाया गया? और उन्होंने आखिर ऐसी कैसी जांच की थी कि इस चावल को पास कर गोदाम में भंडारित करा दिया ?यह तो क्युआई और गोदाम प्रभारी ही बता सकते है कि आखिर राईस मिलर्स के अमानक चावल की कैसी जांच कर उसे गुणवत्ता और मापदंड का बताकर जमा कर लिया और इसके बदले वे कैसे पुरस्कृत किये गये, जबकि उनके द्वारा जमा चावल को ही नॉन प्रबंधक द्वारा अमानक कर दिया गया।
राईस मिलर्स को मिल रही बढक़र प्रोत्साहित राशि
सरकार और नॉन की मंशा है कि शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान की मिलिंग करने वाले राईस मिलर्स गुणवत्तापूर्ण मापदंड के अनुसार मानक स्तर का चावल जमा करें, ताकि आम लोगों को प्रदाय किये जाने वाला चावल अच्छा उपलब्ध हो सके। जिसके लिए सरकार राईस मिलर्स को प्रोत्साहित करने के लिए राशि भी बढ़ाकर दे रही है, बावजूद इसके राईस मिलर्स द्वारा अमानक चावल प्रदाय किया रहा है, जबकि यह अनुबंध नियमों के खिलाफ है।
अधिकारी ने रिसीव्ह नहीं किया फोन
इस पूरे मामले को लेकर, म.प्र. स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन लिमिटेड, बालाघाट प्रबंधक अमित गोड से दूरभाष पर कई बार संपर्क किया गया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।