जिलेभर में संचालित डायल 100 वाहनों को नियम अनुसार 5 साल में बदलना चाहिए था। इसके पीछे का कारण था, पुलिस के पास अच्छे वाहन रहे ताकि किसी भी तरह के अपराध होने पर वह घटनास्थल पर जल्द से जल्द पहुंच जाए। लेकिन 6 साल बीत जाने के बाद भी इस तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया। पुलिस को डायल 100 के लिए लग्जरी श्रेणी के वाहन दिए गए हैं। वाहनों का अनुबंध मध्य प्रदेश राजधानी भोपाल से हुआ है, 5 साल के अनुबंध पर वाहन उपलब्ध कराए गए थे। लेकिन इनको 6 साल हो चले हैं। अभी तक वाहनों को बदला नहीं गया। कौन सा डायल हंड्रेड कब और कहां खड़ा हो जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है। स्थानी पुलिस अधिकारियों के अनुसार जिले के भीतर 18 डायल 100 वाहन संचालित है।
उनके खराब होने पर समय-समय पर मरम्मत जैसे कार्य करवाए जाते हैं वहीं दूसरी ओर जानकारी मिल रही है कि अधिकांश वाहनों में आए दिन खराबी आने लगी है। हालांकि पुलिस के अधिकारी इस विषय पर विभाग की कार्यशैली के अनुसार कुछ भी खुलकर नहीं बताते हुए, यही कहते हैं कि वाहन बेहतर चल रहे हैं और बेहतर तरीके से कार्य हो रहा है। निश्चित ही बालाघाट जिले के भीतर प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में त्वरित होने वाला अपराध का ग्राफ कम है। बावजूद इसके योजनानुसार प्रदेश के अन्य जिलों की तरह वर्ष 2015 जिले को डायल हंड्रेड उपलब्ध करवाई गई, समय-समय पर समीक्षा के अनुसार डायल हंड्रेड वाहन बढ़ाए जाने की योजना थी लेकिन अपराध के ग्राफ को देखते हुए जिले के भीतर वाहन की संख्या नहीं बढ़ाई गई।
सुधार कार्य किया जाता है-एडीएसपी
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गौतम सोलंकी भी मानते हैं कि डायल 100 की मदद से त्वरित अपराध को रोकने में मदद मिलती है जिले के सभी थानों में 1-1 डायल हंड्रेड उपलब्ध करवाई गई है। गाड़ी खराब होने पर समय-समय पर मरम्मत कार्य करवाया जाता है।