नई दिल्ली: आतंकियों को पनाह देने वाले देश पाकिस्तान को आतंक विरोधी समितियों में अहम जिम्मेदारी देना, बिल्ली को दूध की रखवाली देने जैसा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी समितियों में महत्वपूर्ण पद मिलने से भारत में कई लोगों को हैरानी हुई है। पाकिस्तान को तालिबान के खिलाफ प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष, 9/11 के बाद बनी आतंकवाद विरोधी पैनल का उपाध्यक्ष और संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध व्यवस्था पर एक कार्य समूह का सह-अध्यक्ष बनाया गया है।
सूत्रों के अनुसार, इससे भारत में ‘बेचैनी’ और ‘असहजता’ का माहौल है। यह भारत के पाकिस्तान को आतंकवाद का केंद्र बताने के प्रयासों के विपरीत है। यह घटनाक्रम 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुआ है, जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक सैन्य टकराव हुआ था।
भारत ने UNSC के वर्तमान और आगामी सदस्यों सहित विभिन्न देशों की राजधानियों में प्रतिनिधिमंडल भेजे थे ताकि पाकिस्तान से निकलने वाले आतंकवाद के खिलाफ समर्थन जुटाया जा सके। पाकिस्तान को ये पद 29 मई को मिले थे, लेकिन इसकी जानकारी भारतीय प्रतिनिधिमंडलों के दौरे के दौरान सार्वजनिक की गई।
अपना काम निकलवाने में माहिर पाकिस्तान
कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने पिछले महीने न्यूयॉर्क का दौरा किया था और वे फिर से अमेरिकी कांग्रेस, थिंक टैंक और मीडिया के साथ बातचीत के लिए वाशिंगटन डीसी में हैं। इन पैनलों पर नियुक्ति के लिए UNSC के स्थायी और अस्थायी दोनों सदस्यों की सहमति जरूरी है। इस घटनाक्रम से पता चलता है कि पाकिस्तान चीन और UNSC के अन्य सदस्यों की मदद से अपना काम निकालने में सफल रहा है।