बीजेपी के एक दांव से दुविधा में आ गए अखिलेश की सपा के सारे विधायक

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अनुभव का कोई तोड़ नहीं होता। खासतौर पर जब सदन संचालन व नियमों के जानकार होने का मामला हो। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना हों और विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना दोनों इसे साबित करते दिखे। यूपी विधानसभा के वेल में धरने पर बैठे सपा सदस्यों के सामने इन दोनों ने जब उन्हीं के हित की बात कही तो वे असमंजस में पड़ गए। क्या करें क्या न करें। धरने से उठ कर सीट पर आकर अपने सवालों पर उपस्थिति दर्ज कराएं, आजम खां का मुद्दा उठाएं या फिर वेल में नारेबाजी करते रहें। दृश्य देखने लायक था। हुआ यूं कि जब विधानसभा में अध्यक्ष जरूरी विधायी कार्य निपटा रहे थे। और सपा सदस्य वेल में आकर नारेबाजी कर रहे थे। अध्यक्ष ने सदस्यों द्वारा याचिका की सूचनाएं लिए जाने का एजेंडा रखा और अगले मामले पर आ गए लेकिन संसदीय कार्य के अनुभवी सुरेश खन्ना ने यहीं पर विपक्ष की घेराबंदी की। सुरेश खन्ना ने कहा कि मान्यवर जिन्होंने याचिका दाखिल की है उनके नाम तो पढ़ दिए जाएं। अब अध्यक्ष ने सपा सदस्यों का नाम पुकारा तो वेल में होने के कारण उन्हें उपस्थित नहीं माना जा सकता था। इसके लिए उन्हें अपनी सीट पर आना था। कुछ आए कुछ नहीं आए। जो नहीं आए उनकी याचिका अनुपस्थित होने के कारण स्वीकार नहीं हुई। इसी तरह जब आखिरी दौर में विधानसभा अध्यक्ष ने नियम-56 के तहत विपक्ष से मुद्दे उठाने को कहा तो सपा सदस्य फिर ऊहापोह में दिखे। महाना ने कहा कि अरे आप ही लोगों ने आजम खां के मामले में सूचना दी है और अब आजम खां का मामला सदन में नहीं उठाएंगे क्या। उन्होंने तंज किया। सपा सदस्यों के सामने असमंजस की स्थिति पैदा हो गई कि अब धरने पर बैठे रहें कि आजम खां का मसला उठाएं। कुछ हिचकिचाहट के साथ सपा सदस्यों ने वेल में बैठे रहना ज्यादा उचित समझा।

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