बैहर जिला बनाओ संघर्ष के माध्यम से बैहर, बिरसा एवं परसवाड़ा तहसील की जनता लगभग 30 वर्षो से बैहर को जिला बनाने की मांग मध्यप्रदेश सरकार से कर रही है। बैहर जिला बनाओ संघर्ष समिति के बैनर तले संघर्ष समिति के पदाधिकारियों एवं क्षेत्रवासियों द्वारा 30 वर्षों के अंतराल में अनेक आंदोलन, प्रदर्शन एवं रैली निकालकर प्रशानिक अधिकारियों के माध्यम से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर बैहर को जिला बनाने की मांग की जा रही है किन्तु मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बैहर से भी छोटी से छोटी तहसील को जिला बना दिया गया, लेकिन बैहर को जिला नही बनाया गया। अभी हाल ही में सरकार द्वारा मात्र एक तहसील और एक उप तहसील को जोड़कर पांढुर्ना को जिला बनाया गया है। जबकि बैहर, पांढुर्ना से 10 गुना बड़ा है और हर दृष्टि में जिला बनाए जाने योग्य है फिर भी बैहर को जिला नही बनाया जा रहा है। जिससे बैहर, बिरसा एवं परसवाड़ा तहसील क्षेत्र की जनता ने आक्रोशित होकर 23 सितंबर बैहर बंद का आह्रवान किया गया था। जिसका क्षेत्र में मिला-जुला असर देखा गया। जहां बैहर बंद के अव्हान पर कई स्थानो में बंद रहा तो कई जगह बंद का असर दिखाई नहीं दिया। उधर बाहर को जिला बनाओ संघर्ष समिति के बैनर तले जनसभा का आयोजन कर तहसीलदार को ज्ञापन सौपा।जिसमें क्षेत्रवासियों ने बाहर को जिला बनाने की घोषणा ना करने पर चुनाव का बहिष्कार किए जाने की चेतावनी दी है।
वन और खनिज संपदा से ही परिपूर्ण क्षेत्र
वक्ताओं ने बताया कि बैहर क्षेत्र वन संपदा, खनिज संपदा एवं प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। साथ ही एशिया की सबसे प्रसिद्ध कान्हा नेशनल पार्क जो की बैहर से मात्र 15 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। जिससे सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपयों की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है, किन्तु बैहर जिला नही होने के कारण यहां का राजस्व इस क्षेत्र में ना लगाते हुवे दूसरे क्षेत्र में लगाया जाता है। जिससे यह क्षेत्र विकास की दृष्टि से काफी पिछड़ा है। बैहर जिला नही होने से इस क्षेत्र में शिक्षा, चिकित्सा, और न्याय पाने के लिए बालाघाट जिला मुख्यालय जाना पड़ता है। जो 160 किलो मीटर दूर है।
जब छोटी तहसील को जिला बना सकते हैं तो बैहर को क्यों नहीं
हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार ने बैहर से भी छोटी से छोटी तहसील को जिला का दर्जा दिया है। जबकि बैहर में तीन तहसील हैं, तीन उप तहसील हैं, दो विधान सभा है, तीन जनपद है, दो नगर पालिका है, 172 ग्राम पंचायत है, 437 राजस्व ग्राम है, 88 वन ग्राम है, 22 वीरान ग्राम है। पूरा बैहर 2 लाख 51 हजार 571 हेक्टेयर भूमि में बसा है। पूरे देश में राष्ट्रीय मानव का दर्जा प्राप्त बैगा जन जाति के लोग इसी तहसील में निवास करते हैं। जिनकी संख्या लगभग 30 हजार है जो 190 गांव में निवास करते हैं। बैहर क्षेत्र की जनसंख्या लगभग 10 लाख के करीब है। प्रदेश सरकार द्वारा चुनाव से पूर्व कई तहसीलों को जिला बनाने की घोषणा की गई है। जिसके कारण बैहर को जिला बनाने की मांग ने जोर पकड़ा है और सतत इस मांग को लेकर क्षेत्रीय लोग संघर्षरत है।
सरकार कर रही अत्याचार
बैहर जिला बनाओ संघर्ष समिति का कहना है कि छोटी-छोटी तहसीलो को सरकार द्वारा जिला बनाने की घोषणा के बाद बैहर क्षेत्रवासियों ने बैहर को जिला बनाने की मांग करते हुए कहा कि शासन द्वारा बैहर को जिला नही बनाया जाना बैहर क्षेत्र वासियों के साथ अत्याचार किया जा रहा है। बैहर जिला बनाओ संघर्ष समिति के माध्यम से विगत 30 वर्षो से बैहर को जिला बनाने की मांग सरकार से की जा रही है, किन्तु सरकार का ध्यान बैहर को जिला बनाने में नही है। इसलिए सरकार को चेतावनी है कि यदि विधान सभा चुनाव के पूर्व बैहर को जिला नही बनाया जाता है तो बैहर, बिरसा एवं परसवाड़ा तीनो तहसील में चुनाव का बहिष्कार किया जायेगा।23 सितंबर को बैहर जिला बनाओ संघर्ष समिति के आह्रवान पर बैहर, परसवाड़ा, बिरसा, उकवा, सरेखा, गढ़ी, मंडई सहित क्षेत्र के जागरूक लोगों ने एक बार फिर बैहर बनाओ की आवाज बुलंद की और एसडीएम को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है
अंग्रेजों के समय 1867 में बैहर को बनाया था तहसील
बैहर बंद को लेकर आयोजित की गई आम सभा के दौरान प्रमुख वक्ताओं ने बताया कि बैहर का इतिहास काफी पुरना है। इतिहास और भौगोलिक दृष्टि से इसके बारे में बताया जाता है कि बैहर को अंग्रेजों के समय 1867 में तहसील बनाया गया था। जो जिले की 155 वर्ष पुरानी तहसील है। बैहर जिला नही बनने के कारण बहुत ही पिछड़ा है। यह तहसील आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। इस क्षेत्र में गोंड एवं राष्ट्रीय मानव कहे जाने वाले बैगा जन जाति के लोग निवास करते हैं। यह क्षेत्र जंगलों और पहाड़ों से घिरा है जिससे यह क्षेत्र अति संवेदनशील क्षेत्र है।
जिला मुख्यालय से 160 से 165 किमी की दूरी पर है बैहर
जिले की सबसे पुरानी अंग्रेजो के समय बनाई गई बैहर तहसील आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जो आज भी विकास की दौड़ में काफी पिछड़ा है। यही कारण है कि बैहर जिला नही होने से इस क्षेत्र में विकास नहीं हो सका और यहां की बसाहट और भोले-भाले लोगों का फायदा उठाकर धीरे- धीरे नक्सलाइट अपना पैर पसार रहें हैं। इस क्षेत्र के अंतिम गांव से जिला मुख्यालय की दूरी 160 से 165 किलो मीटर है। जिला मुख्यालय की दूरी अधिक होने के कारण जंगलों और पहाड़ों से गुजर कर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है। जिससे जंगली जानवरों एवं नक्सलाईटो का भय बना रहता है।
तो तीनों तहसील में करेंगे चुनाव का बहिष्कार-कमलेश
ज्ञापन को लेकर दूरभाष पर की गई चर्चा के दौरान बैहर जिला बनाओ संघर्ष समिति अध्यक्ष एफ.एस. कमलेश ने बताया कि ज्ञापन के माध्यम से हमने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि समय रहते बैहर को जिला बनाने की घोषणा नहीं की जाती है तो बैहर को जिला बनाने संघर्षरत क्षेत्र के लोग तीनों तहसील के मतदाता चुनाव का बहिष्कार करेगें।










































