ब्रह्मलीन स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज ने 2015 में सत्र न्यायालय में आवेदन दाखिल किया था। अमरकंटक में मां नर्मदा मंदिर के सामने प्राचीन कलचुरी कालीन रंगमहला मंदिर परिसर में 15 छोटे बड़े मंदिरों का समूह है। पुरातत्व विभाग ने 40 साल पहले इसमें पूजा करने पर रोक लगा दी थी। 1998 में पहली बार द्वारका शारदा पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी ने इस मंदिर में पूजा का प्रयास किया था। किंतु उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली। उसके बाद उन्होंने मंदिर से जुड़े साक्ष्य और दस्तावेज एकत्रित किए,और न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया।
7 साल बाद जिला न्यायाधीश अविनाश शर्मा ने पुरातत्व विभाग द्वारा अमरकंटक के रंगमहला मंदिर में पूजा करने पर लगाई गई रोक को हटा दिया है। मंदिर परिसर क्षेत्र और मंदिरों की संपूर्ण देखरेख का जिम्मा, द्वारका शारदा पीठ को दिया गया है।
अब श्रद्धालु मंदिर परिसर में विराजित भगवान विष्णु, पातालेश्वर शिवलिंग, सत्य नारायण भगवान की पूजा कर सकेंगे। मां नर्मदा के उद्गम स्थल में ब्रह्मलीन शंकराचार्य पूजन तो नहीं कर पाए। लेकिन उन्होंने मंदिर में पूजा करने का अधिकार सभी के लिए खोल दिया।