ब्राजील- तीसरी बार राष्ट्रपति बने लूला डा सिल्वा:​​​​​​10 हजार सुरक्षा बलों की मौजूदगी में ली शपथ, साइकिल पर समारोह देखने पहुंचे लोग

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ब्राजील में नए साल के पहले दिन यानी 1 जनवरी को लूला डा सिल्वा ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली। वो तीसरी बार राष्ट्रपति बने। शपथ ग्रहण समारोह के दौरान 10 हजार सुरक्षा बल मौजूद रहे।​​ उनके समर्थक अपने नेता को राष्ट्रपति बनते देखने के लिए प्लेन, गाड़ियों और साइकिलों पर समारोह के स्थान पर पहुंचे।

शपथ लेने के बाद लूला डा सिल्वा ने कहा, हम ब्राजील का पुनर्निमाण करेंगे। सालों तक लड़ाई कर हमने जो अधिकार, आजादी और विकास पिछले कुछ समय में खोया उसे वापस हासिल किया जाएगा। लूला डा सिल्वा ने ब्राजील के गरीब लोगों के जीवन में सुधार, नस्लीय और लैंगिक समानता को लेकर काम करने का वादा किया।

कड़ी सुरक्षा के बीच हुआ शपथ ग्रहण समारोह
ब्राजील में लूला डा सिल्वा के चुनाव जीतने के बाद से बोल्सोनारों के समर्थकों में रोष है। जिसके चलते वहां लगातार दंगे और प्रदर्शन हुए हैं। ऐसे में लूला डा सिल्वा के शपथ ग्रहण समारोह में काफी सुरक्षा मौजूद रही।

शपथ ग्रहण समारोह में आने वाले लोगों के बोतल, कैन, फ्लैग मास्ट यानी झंडा लगाने वाला पोल, और खिलौनों वाली बंदूक लाने पर पाबंदी रही।

लूला डा सिल्वा ने बिना नाम लिए बोल्सेनारों को धमकी दी। उन्होंने कहा कि उनके शासन में कानून व्यवस्था का पालन होगा। जो भी लोग गलती करेंगे उन्हें सजा भुगतनी होगी।

बोल्सेनारो देश छोड़कर भागे तो अश्वेत महिला से लिया प्रेसिडेंशियल सैश
पूर्व राष्ट्रपति बोल्सेनारो के देश छोड़कर भाग जाने के कारण लूला ने एक अश्वेत महिला के हाथों से प्रेसिडेंशियल सैश लिया। दरअसल प्रेसिडेंशियल सैश कपड़े का एक बैंड होता है जिसे कंधे से लेकर कमर तक पहना जाता है। इसे सिर्फ राष्ट्रपति ही पहन सकते हैं।

जब कोई राष्ट्रपति पद छोड़ता है तो आधिकारिक समारोह में इस बैंड को अगले राष्ट्रपति को सौंप देता है। ब्राजील में भी इस परंपरा का पालन किया जाता है। लेकिन बोल्सोनारो के देश छोड़कर जाने से यह लोकतांत्रिक परंपरा टूट गई। 1985 में मिलिट्री की तानाशाही खत्म होने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है।

लूला डी सिल्वा ने अश्वेत बच्चे और दिव्यांग के साथ प्लानाल्टो पैलेस पहुंचे

शपथ ग्रहण समारोह के बाद लूला डा सिल्वा प्लानाल्टो पैलेस पहुंचे। जहां वो रैंप पर अपने परिवार के साथ अलग-अलग समुदाय के लोगों को साथ लेकर चले। जिनमें एक अश्वेत बच्चा, एक दिव्यांग मौजूद थे। जिसे बोल्सेनारों के खिलाफ एक सिंबल के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल बोल्सेनारो अपने नस्लभेदी टिप्पणियों के कारण हमेशा से लूला डा सिल्वा के निशाने पर रहे हैं।

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