भाऊ बालाघाट एक्सप्रेस पर आक्रोशित हुए, कौन सही-कौन गलत, निर्णय जनता पर

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The Agriculture Minister of Madhya Pradesh, Shri Gauri Shankar Bisen meeting the Union Minister for Agriculture, Shri Radha Mohan Singh, in New Delhi on December 17, 2014.
उमेश बागरेचा
आज सुबह-सुबह भाऊ ने अपनी सारी भड़ास (सारा गुस्सा) मेरे और मेरे अखबार पर, कैमरामैन हितेश ठाकरे के मार्फत निकाली। वह इसलिए कि आज के बालाघाट एक्सप्रेस के अंतिम पृष्ठ पर एक समाचार ‘गौरी भाऊ की जुबां से निकली फिर विवादित बातेÓ शीर्षक से प्रकाशित हुआ है। यह समाचार कल लालबर्रा के कृषि उपज मंडी प्रांगण में आयोजित भूमिपूजन कार्यक्रम के दौरान भाऊ के मुखारबिंद से निकले शब्दों के अनुसार बनकर प्रकाशित हुआ है, इसमें कहीं भी अखबार की ओर से अतिरिक्त कुछ भी नहीं लिखा गया है, बल्कि कमलनाथ के बारे में जो बात कही थी कि वह पीकर सोए रहते है ना लिखकर यह लिखा था कि कमलनाथ पर अमर्यादित टिप्पणी की। पूर्व सांसद स्वर्गीय नंदकिशोर शर्मा, सरपंच अनीस खान, ग्राम पंचायत गर्रा, स्वर्गीय राणा हनुमान सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष सम्राट सरसवार, आदि के बारे में कई ऐसी बाते कही जो निश्चित ही विवाद की श्रेणी में आती है। क्योंकि इनके बारे में जो बाते कही गई है उन बातों से निश्चित ही आपत्ति होना लाजमी है। हालांकि जिनके खिलाफ आपत्तिजनक बाते बोली गई है वह कोई पहली बार नहीं है मगर शायद जिनके खिलाफ ये बातें कही गई है वे लोग जिनमें कांग्रेसी भी है वे शायद कृतज्ञतावश तथा डर के कारण अपनी भद्द पिटवाते रहते हैं। बैनगंगा नदी का पानी इतना ठंडा है कि यहां पिछले दिनों मां की गाली खाने में भी शर्म नही आई।
खैर अब मुद्दे पर आते हैं, लालबर्रा में कही बात जो आज प्रकाशित हुई है उससे भाऊ नाराज हो गए, और आज सुबह बालाघाट मुख्यालय में मैराथन दौड़ कार्यक्रम कव्हरेज करने के दौरान अचानक काली पुतली चौक में जब वहां कुछ पत्रकार भी थे भाऊ भी आ जाते हैं और पूछते हैं बालाघाट एक्सप्रेस का यहां कौन है, तब कैमरामैन हितेश ठाकरे बोलते है मैं हूं, बस फिर क्या था भाऊ आग बबूला होकर गुस्से में भड़कते हुए कहने लगे कि क्या छापे हो अखबार में कुछ भी छापते हो उपर हेडिंग कुछ है और अंदर तो वैसा कोई मैटर ही नही है। भाऊ को सबसे ज्यादा तकलीफ प्रकाशित ‘कमलनाथ के लिए अमर्यादित टिप्पणीÓ शब्द से हुई क्योंकि जो उन्होंने बोला था कि ‘कमलनाथ पीकर सोए रहते हैÓ को हमने भाषा की मर्यादा के कारण नहीं लिखा था, और ये बात भाऊ पहले भी अनेक अवसरों पर बोल चुके हैं जो पूर्व में मीडिया में आ भी चुका है। तत्पश्चात भाऊ कैमरामैन ठाकरे से कहते है तुम मेरा क्या कर लोगे, मैं तो 50 हजार वोट से जीतूंगा, ये गुड्डा-वुड्डा कोई मायने नहीं रखते, कल सीएम बनकर मैं आऊंगा तब क्या करोगे। यहां कितने सांसद आए और गए, किसी ने कुछ नहीं किया, सभी को मैने सांसद बनाया हूं। फिर कैमरामैन ठाकरे से बोलते है तेरे को सांसद बनना है तो तेरे को बना दूंगा, इसके बाद वहीं पास खड़ी दो स्कूल टीचर से भी बोलते है तुमको सांसद बनना हो तो बोलो तुमको भी बना सकता हूं। फिर पिछले दिनों हुई सट्टे एवं डबल मनी के आरोपी का नाम लिए बगैर उसे इंगित कर कहते है देख लिया गुंडा बन रहा था उसका क्या हुआ। फिर मंत्री पर आते है पूछते है मालूम है उसका बाप कौन तो स्वयं का नाम बताते है फिर मां के नाम में अपनी पत्नी का नाम बताते हैं, इतना ही नहीं फिर बोलते हैं कि बताओ कितने पैसे देकर मंत्री बना है पता है 10 करोड़ देकर मंत्री बना है। इसके बाद कैमरामैन ठाकरे को बोलते है तुम्हारा मालिक कभी मेरे बारे में अच्छा नहीं छापता, कितने का आता है तुम्हारा अखबार बता मैं अभी खरीद लेता हूं। इस बीच कैमरामैन ठाकरे कहते है कि मुझे इस खबर के बारे में कुछ नहीं मालूम मैं फोन लगा देता हुं आप उमेश बागरेचाजी से बात कर लें तो भाऊ मना कर देते है मैं बात नही करूंगा। पूरे वार्तालाप के बीच भाऊ किसी को अखबार लाने बोलते है लेकिन अखबार आने के पहले इतनी बातों के बाद कैमरामैन ठाकरे बगैर कोई जिरह किए वहां से हट जाता है, और फिर मुझे सारी बातों की जानकारी देता है।
अब मैं यहां भाऊ को बता देना चाहता हूं कि उक्त समाचार में मैंने अपनी ओर से कोई बात नहीं जोड़ा था बल्कि आपने तो और भी बहुत लोगों के खिलाफ बहुत कुछ बोला था। सबसे बड़ी बात आपने प्रकाशित बातें बंद कमरे में या एकांत में नहीं कहा है सार्वजनिक कार्यक्रम में भीड़ में कहा है, यदि आपको अपने ही कहे शब्द गलत प्रतीत हो रहे हैं तो ऐसे शब्दो को सार्वजनिक स्थानों पर बोलने से बचना चाहिए। मगर आप तो पिछले कुछ दिनों से लगातार अपने बयानों से विवादो में घिरे हैं। इसमें मेरी कहां गलती है जैसे आपको नेतागरी करना है तो मुझे पत्रकारिता करना है। जैसे आप जनप्रतिनिधि होने के नाते जनता के प्रति जवाबदेह हैं और उनके हित आपके लिए सर्वोप्रिय होना चाहिए वैसे ही मैं भी समाज और अपने पाठकों के प्रति जवाबदेह हूं, समाज में जो घटित हो रहा है एक दायरे के अंदर उसे प्रकाशित करना मेरी जवाबदेही है। अखबार में प्रकाशित सामग्री को लेकर जनता का विश्वास मुझ पर और मेरे अखबार पर बना रहे ये मेरा दायित्व है। आप भी समाज के प्रति जवाबदेह हैं और हम भी समाज के प्रति जवाबदेह हैं। आपकी क्रिया भी जन हितैषी होना चाहिए हमारी क्रिया भी जन हितैषी होना चाहिए। चूंकि आप जनता के चुने हुए प्रतिनिधि है तो आप जो अच्छा करते है, आप जो बोलते हैं वह भी हमारे अखबार में  प्रमुखता से प्रकाशित होता हैं, और आप कुछ गलत करेंगे या कहेंगे तो वह भी बगैर किसी विद्वेष के प्रकाशित होगा। आप की क्रिया की प्रतिक्रिया थोड़ी भी छपी नहीं कि आप अपना आपा खो देते हैं। और ये कोई पहली बार नहीं हुआ है, मुझे भी पत्रकारिता करते हुए 35 वर्ष हो गए हैं और इन 35 वर्षो में अनेकों बार आपके मेरे बीच इस तरह की बातें हुई है। संबंध बनते बिगड़ते रहे हैं। अनेकों बार आपने मेरे खिलाफ खुलकर सार्वजनिक रूप से बोला है बल्कि अनेकों बार आपने मेरे व्यवसाय को क्षति पहुंचाने की भी असफल कोशिश की है, जब मै मेडिकल व्यवसाय में था तब मेरे संस्थान के खिलाफ आपने मेरे उस समय के प्रतिद्वंदी पत्रकार के कहने पर विधानसभा में अनर्गल आरोप के प्रश्न लगाए थे, इसी तरह हाल ही में कुछ वर्ष पूर्व अपनी  लगभग हर चुनावी  सभाओं में यहां तक कि नुक्कड़ सभाओं में भी मेरे संस्थान बालाघाट एक्सप्रेस एवं पद्मेश सिटी केबल का नाम लेकर भाषण में बोलते थे कि बालाघाट एक्सप्रेस लेना, पढऩा बंद करो, पद्मेश सिटी केबल का कनेक्शन कटवा कर दूसरा प्रतिद्वंदी का लगवाओ। तो ये सब हमारे बीच चलता रहा है, और चलता रहेगा ।
हां एक बात और भाऊ आपने मेरे कैमरामैन से मेरे संस्थान को खरीदने की बात कही है जो मुझे मंजूर है आप मेरे मीडिया संस्थान पद्मेश मीडिया जिसमे अखबार और  केबल का व्यवसाय है आप इस पूरे संस्थान की लागत और उसकी गुडविल का सर्वे कराकर आंकलन करा लेवेें, उतनी कीमत आप दे सके तो मैं आपको अपना ये कारोबार जो आप खरीदने की बात कह रहे हैं, मैं बेचने तैयार हूं।
अब अंतिम बात जिले की जनता और पाठकों से कि जो बाते समय-समय पर भाऊ मेरे विषय में बोलते रहते हैं या आज जो समाचार प्रकाशित हुआ है जिसके कारण भाऊ का क्रोध उजागर हुआ है तो अब मैं आप जनता-जनार्दन पर छोड़ता हूं कि निर्णय करे कि कौन सही कौन गलत अर्थात मैं गलत या भाऊ..?

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