सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए अखिल भारतीय आशा कर्मचारी महासंघ ने 22 अगस्त को भारतीय मजदूर संघ कार्यालय में आशा कार्यकर्ताओं की एक बैठक आयोजित कर मुख्यमंत्री के नाम सी एच ओ मो कार्यालय में 10 हजार रुपए दिए जाने की मांग को लेकर ज्ञापन सोपा। आशा कार्यकर्ता संघ की राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष गीता कटरे ने बताया की अधिकारियों के द्वारा आशा कार्यकर्ताओं को धमकाने का और मोबाइल में जानकारी सेंड करने का दबाव बनाया जा रहा है रही बात हमारी आशा कार्यकर्ताओं बहनों को किसी प्रकार का सरकार के द्वारा कोई मोबाइल नहीं दिया गया है और हमारी आशा कार्यकर्ता बहने आठवीं नवी और दसवीं तक पढ़ी लिखी है मोबाइल भी अच्छे से चलाते नहीं आता। और सरकार हमें कुछ पैसा नहीं देती तो हम लोग कहां से मोबाइल खरीदेंगे और कहा जाता है कि जब तक आप मोबाइल रिपोर्ट नहीं सेंड करेंगे तो आपको निकाल दिया जाएगा और दूसरी आशा कार्यकर्ताओं का चयन किया जाएगा। 2006 में हमारी भर्ती हुई थी हमारी आशा कार्यकर्ताओं ने एक-एक घर जाकर स्वास्थ्य के विषय में जितनी भी जानकारी थी वह आशा कार्यकर्ता नहीं दी आज जो टीकाकरण और जो डिलेवरी हो रही है स्वास्थ्य संबंधी जितने भी कम हो रहे हैं और जनता को जितना लाभ मिल रहे हैं यह आशा कार्यकर्ताओं के कारण ही मिल रहा है। और हमारी आशा कार्यकर्ता लग्न के साथ में अपना कार्य करती है। कोरोना के समय हमारी आशा कार्यकर्ताओं घर-घर में जाकर सर्वे कार्य किया उनको जानकारी दिए किस प्रकार से रहना है और कोरोना से बचाना है उसका भी बताया गया की आशा कार्यकर्ताओं को ₹10000 दिया जाएगा लेकिन उसका भी पैसा अभी तक नहीं मिल पाया। लंबे समय से आशा कार्यकर्ताओं को 18 हजार रूपये मानदेय दिये जाने की मांग की जा रही थी लेकिन सरकार ने आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय 4 हजार रूपये किया है, यह सरकार अब चार माह बाद नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि हम सरकार द्वारा आशा कार्यकर्ताओं के बढ़ाये गये 4 हजार रूपये मानदेय से संतुष्ट नहीं है, कम से कम आशा कार्यकर्ताओं को 10 हजार रूपये मानदेय प्रदान किया जायें। यही नहीं बल्कि प्रसव, टीकाकरण और मिशन धनुष के तहत बढ़ाई गई राशि भी आशा कार्यकर्ताओं को प्रदान की जाये। उन्होंने कहा कि जो यह बता रहे है कि प्रदेश सरकार आशा कार्यकर्ताओं को 6 हजार रूपये दे रही है, वह सही नहीं है। 2 हजार रूपये केन्द्र सरकार और 4 हजार रूपये प्रदेश सरकार दे रही है। ऐसा मिलाकर 6 हजार रूपये है। हमारी मांग है कि प्रदेश सरकार हमें 10 हजार रूपये मानदेय दे। सरकार एक ओर तो महिलाओं को एक हजार रूपये दे रही है, वहीं दूसरी ओर हम बहनों से काम करवाकर भी हमें सम्मानजनक मानदेय नहीं दिया जा रहा है। यदि सरकार हमें बढ़ाकर मानदेय नहीं देती है तो कोई भी आशा कार्यकर्ता बहनें वोट नहीं करेगी। मेरे द्वारा राष्ट्र में आशा कार्यकर्ताओं की बैठक ली जा रही है मध्य प्रदेश को छोड़कर सभी राज्यों में आशा कार्यकर्ताओं को 10हजार रुपए मानदेय दिया जा रहा है लेकिन मध्य प्रदेश में नहीं।