हर देश अपने मतलब वाले दूसरे देशों की हलचल पर नजर रखता है। आखिर वहां हो क्या रहा है? क्या तैयारी की जा रही है? अगर वे दुश्मन मुल्क हैं या फिर प्रतिद्वंद्वी तब तो और भी ज्यादा नजर रखी जाती है। कहीं वे कुछ ऐसा तो नहीं प्लान कर रहे जो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा या राष्ट्रीय हितों के लिए खतरा है? इसीलिए देशों की अपनी खुफिया एजेंसी होती हैं जो गुप्त और संवेदनशील सूचनाएं जुटाती हैं। इसके कई तरीके होते हैं- ह्यूमन इंटेलिजेंस, सिग्नल्स इंटेलिजेंस, इमेजरी या सैटलाइट इंटेलिजेंस, ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस…। इनमें सबसे मुश्किल है ह्यूमन इंटेलिजेंस जिसके लिए विदेश में विश्वसनीय एसेट तैयार किए जाते हैं जो आपके लिए संवेदनशील सूचनाएं जुटाते हैं। लेकिन क्या किसी देश में शीर्ष पर बैठे लोग ही विदेश में अपने एजेंट्स की जानकारी, नाम-पता संबंधित देश को देश सकते हैं? आपका जवाब होगा नहीं, हरगिज नहीं। लेकिन वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह ने एक टीवी कार्यक्रम में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और पूर्व प्रधानमंत्री आईके गुजराल को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने दावा किया कि दोनों ने ईरान और पाकिस्तान को वहां सक्रिय भारतीय एजेंटों के नाम-पता समेत पूरी जानकारी दे दी थी, जिसका नतीजा हुआ कि वे सारे के सारे एजेंट मारे गए। इन झटकों से भारतीय खुफिया एजेंसियां अभी तक पूरी तरह नहीं उबर पाई हैं। इसके अलावा सिंह ने दावा किया कि 2009 में मिस्र के शर्म अल शेख में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कबूल किया था कि भारत पाकिस्तान के बलूचिस्तान में गड़बड़ी कर रहा है। उन्होंने इसे आजादी के बाद भारत की सबसे भयंकर भूल करार दिया।
मनमोहन सिंह का बयान आजादी के बाद भारत की सबसे भयंकर गलती थी: प्रदीप सिंह
न्यूज चैनल ‘इंडिया टीवी’ के एक कार्यक्रम में एंकर ने चर्चा के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से (2016 में) पाकिस्तान के बलूचिस्तान का नाम लिया था। इससे पहले शायद भारत सरकार की तरफ से कभी बलूचिस्तान या बलूचों के बारे में बात नहीं की गई थी। इस पर पैनल में शामिल सीनियर जर्नलिस्ट प्रदीप सिंह ने कहा कि ऐसा नहीं है। डॉक्टर मनमोहन सिंह ने शर्म अल शेख में बलूचिस्तान पर बयान दिया था। उन्होंने कहा, ‘मनमोहन सिंह ने शर्म-अल शेख में जो बयान दिया, समस्या तो वहां से शुरू हुई। उन्होंने कहा कि हमारे भी लोग बलूचिस्तान में गड़बड़ कर रहे हैं। वहां से पाकिस्तान को एक मुद्दा मिल गया कि देखिए हमारे ऊपर आप कश्मीर में गड़बड़ी का आरोप लगाते हैं और आप खुद ये बलूचिस्तान में करा रहे हैं। आजादी के बाद इससे बड़ी भयंकर गलती शायद दूसरी नहीं हुई।’










































