भारत ने कोविड के बाद इबोला वैक्सीन बनाने की योजना बनाई

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दक्षिण अफ्रीकी युगांडा इन दिनों इबोला के घातक वायरस की चपेट में है और बढ़ते प्रकोप के बाद भारत की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने नवंबर के अंत तक एक प्रायोगिक इबोला वैक्सीन की 20,000 से 30,000 खुराक बनाने की योजना बनाई है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस वैक्सीन का उपयोग युगांडा में बढ़ते वायरस के प्रकोप के खिलाफ परीक्षण में किया जा सकता है। विशषज्ञों के अनुसार सूडान स्ट्रेन के खिलाफ एक वेरिफाइड वैक्सीन की कमी ने हालात को और बत्तर बना दिया है।
देश में एक महीने के दौरान 54 पुष्ट मामले और 19 मौतें हुई हैं। वहीं राजधानी कंपाला में पहला मामला पिछले सप्ताह ही दर्ज किया गया था। लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना ​​है कि वास्तविक संख्या इससे अधिक हो सकती है। इबोला के अधिक सामान्य ज़ैरे स्ट्रेन के खिलाफ टीके पड़ोसी लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो में हाल के प्रकोपों ​​​​के दौरान अत्यधिक प्रभावी साबित हुए हैं।
एस्ट्राजेनेका (एजेडएनआईएल) के साथ एक कोविड-19 वैक्सीन विकसित करने वाली ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एक इबोला वैक्सीन बनाई है जो कि सूडान और ज़ैरे स्ट्रेन के प्रति फेज वन ट्रायल में पास हो गई है। इस वैक्सीन ने दोनों स्ट्रेन के खिलाफ इम्युनिटी बढ़ाने में मदद की है। वैक्सीन के डेवलपर्स ने कहा कि वे सीरम इंस्टीट्यूट के साथ काम कर रहे हैं जिसे नियामक मंजूरी मिलने के बाद युगांडा को दे दिया जायेगा। कंपनी फिलहाल नवंबर के मध्य से अंत तक बड़ी संख्या में खुराक के लगभग 20,000 से 30,000 डोज़ या उससे अधिक बनाने की उम्मीद कर रही है। सीरम इंस्टीट्यूट इबोला के टीके की खुराक निशुल्क दे सकती है।

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