जिंदगी बहुत खूबसूरत है, लेकिन यह भी सच है कि इसमें लगातार उतार-चढ़ाव लगे रहते हैं। कई मौकों पर लोग खुद को बेबस पाकर उस घातक पल के अधीन हो जाते हैं, ऐसे में यदि वह समय किसी तरह टल जाए तो जीने के कई रास्ते मिल जाते हैं और जिंदगी फिर पटरी पर दौड़ने लगती है।
कोरोनाकाल में भोपाल शहर में 71 दिन के लॉकडाउन में 58 लोगों ने आत्महत्या की है। यह घातक कदम उठाने वालों में 20 से 30 वर्ष के युवा ज्यादा हैं। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के मौके पर हमने विशेषज्ञों से जाना कि जिंदगी के कमजोर लम्हों को कैसे झेलें। आत्महत्या के विचार यानी सुसाइडल आइडिएशन के लक्षण कैसे पहचानें और इससे निकलने के लिए हेल्पलाइन और काउंसलिंग से कैसे मदद लें।
संस्था स्पंदन-लाइफ मूव ऑन की काउंसलर रचना चिटनिस ने बताया कि हमारी हेल्पलाइन में जैसे ही कोई कॉल आता है हम सबसे पहले उसकी टेलीकाउंसलिंग करते हैं। इसके बाद वन-टू-वन सेशन होता है। जरूरत पड़ने पर हमारे मनोचिकित्सक दवाएं भी देते हैं। हम परिवार के सदस्यों की भी काउंसलिंग करते हैं। उन्होंने बताया कि अभिनेता सुशांत सिंह के आत्महत्या मामले के बाद हमारे पास फोन करने वालों की संख्या बढ़ी है।
पहले हमारे सेंटर में 4-5 फोनकॉल रोज आते थे, अब 10 से 12 हो गई है। कारोना काल में तनाव, आर्थिक तंगी और परिवारिक समस्या की बात सामने आ रही है।
सुसाइडल आइडिएशन के लक्षण
- कम बोलना और चिड़चिड़ाना
- हर समय निराश और असहाय महसूस करना।
- किसी भी काम में रुचि नहीं ले पाना।