भ्रष्टाचार के मामले में तहसील कार्यालय कटंगी के बाबू भगवती प्रसाद को 4 वर्ष का सश्रम कारावास – 4 हजार रुपये अर्थदंड

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बालाघाट/ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष न्यायाधीश उत्तम कुमार डार्वि की। विद्वान अदालत ने भ्रष्टाचार के एक मामले में तहसील कार्यालय कटंगी के बाबू भगवती प्रसाद सोनेकर को 4 वर्ष की सश्रम कारावास और 4हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किये। लोकायुक्त जबलपुर की टीम ने भगवती प्रसाद सोनेकर को तहसील कार्यालय कटंगी में एक हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। इस मामले में अभियोजन की ओर से पैरवी जिला लोक अभियोजन अधिकारी कपिल कुमार डहेरिया द्वारा की गई थी।

अभियोजन के अनुसार योगराज वडीचार वार्ड नंबर 3 वारासिवनी निवासी की पैतृक कृषि भूमि ग्राम बाहकल कटंगी में है। तहसीलदार कार्यालय कटंगी से बटवारा प्रकरण में फैसले के बाद योगराज वडीचार के नाम1.20 एकड़ जमीन आई थी। इस जमीन का नामांतरण योगराज वडीचार के पक्ष में हो चुका था। बही बनाकर देने के एवज में तहसील कार्यालय का बाबू भगवती प्रसाद सोनेकर योगराज वडीचार से रिश्वत में 2000 रुपये की मांग कर रहा था और योगराज वडीचार रिश्वत देना नहीं चाहता था। बल्कि उसे रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़वाना चाहता था। जिसकी शिकायत योगराज वडीचार ने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त जबलपुर से की थी। शिकायत का सत्यापन कराया गया जिसमें पाया गया कि भगवती प्रसाद सोनेकर बाबू के द्वारा 1500रुपये की मांग की जा रही थी। 500 रुपये भगवती प्रसाद सोनकर ने रिश्वती बातचीत के दौरान ले ली थी तथा बाकी 1000 रुपये देने के लिए 23 अप्रैल 2016 को भगवती प्रसाद सोनेकर ने योगराज वडीचार को तहसील कार्यालय कटंगी में दिन में बुलाया था। लोकायुक्त पुलिस ने एक ट्रेप का आयोजन किया था और 23 अप्रैल 2016 को तहसील कार्यालय कटंगी में लोकायुक्त पुलिस की टीम ने आरोपी भगवती प्रसाद सोनकर को योगराज वडीचार से 1000 रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ा था। योगराज वडीचार कि उक्त रिपोर्ट पर आरोपी भगवती प्रसाद सोनेकर के विरुद्ध धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और धारा 13(1)(घ) सहपठीत धारा 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किया गया था। विवेचना अनुसंधान उपरांत अभियोग पत्र बालाघाट की भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत में पेश किया गया था। हाल ही में भ्रष्टाचार का यह मामला विशेष न्यायाधीश उत्तम कुमार डार्वि की अदालत में चला। जहां अभियोजन पक्ष आरोपी भगवती प्रसाद सोनेकर के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोपित अपराध सिद्ध करने में सफल रहे।

वर्तमान में आर्थिक अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है- विद्वान अदालत

विद्वान अदालत ने कहा कि वर्तमान में आर्थिक अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है तथा उससे समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है किसी शासकीय कार्य के लिए रिश्वत के तौर पर रुपए मांगे जाने को अधिकार के रूप में परिवर्तित किया जा चुका है तथा समाज में यह आम धारणा व्याप्त हो गई है कि बिना रिश्वत दिए कोई कार्य होना संभव नहीं है। अतः विद्वान अदालत ने मामले की तथ्यों एवं परिस्थितियों तथा अधिनियम में दंड के संबंध में प्रावधानों को दृष्टिगत रखते हुए आरोपी भगवती प्रसाद सोनेकर को धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध में 4 वर्ष का सश्रम कारावास और 2 हजार रुपये अर्थदंड, धारा 13(1)(घ)सहपठित धारा13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध में 4 वर्ष का सश्रम कारावास और 2 हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किये।

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