नगर के भटेरा चौकी स्थित एक निजी चिकित्सालय बालाघाट हॉस्पिटल में सोमवार की दोपहर में एक मरीज के परिजन में उस समय अस्पताल प्रबंधन के प्रति नाराजगी व्याप्त हो गई जब उन्हें बताया गया कि मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज करने के लिए 10 हजार रुपये अधिक लगेंगे तथा मरीज को घर ले जाने की स्थिति में एक घंटा से ज्यादा जीवित नहीं रह पाने की भी बात कही गई। यह सुनते ही जैसे मानो इस गरीब महिला के सिर पर पहाड़ टूट पड़ा हो, एक दो परिचित व्यक्ति के पहुंचने पर महिला द्वारा खुलकर इस बात को रखा गया। यह जानकारी अस्पताल प्रबंधन तक पहुंचते ही अस्पताल प्रबंधन स्टाफ द्वारा पहुंचकर मरीज के परिजनों के सामने पूरी स्थिति मरीज के संबंध में क्लियर की गई तथा यह बताया गया कि मरीज अभी जब जीवित है लेकिन उसकी स्थिति बहुत ज्यादा क्रिटिकल है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा पूरी स्थिति क्लियर करते ही यह मामला शांत हुआ।
आपको बताये कि स्थानीय निवासी रजनीश श्रीवास्तव को पीलिया की शिकायत थी इसके कारण उसका स्वास्थ्य बहुत ज्यादा खराब हो गया था। गंभीर स्थिति को देखते हुए श्रीमती आशा श्रीवास्तव द्वारा अपने पति रजनीश श्रीवास्तव को बालाघाट हॉस्पिटल में 27 अक्टूबर को भर्ती किया गया था जहां उसका इलाज आईसीयू में रखकर किया गया लेकिन रजनीश श्रीवास्तव के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ। सोमवार को आशा श्रीवास्तव को बताया गया मरीज वेंटिलेटर पर है उनका बिल करीब 30000 रुपये हो गया है अगर मरीज को घर ले जाते हैं तो वह 1 घंटे तक ही जीवित रह पाएंगे, यह सुनकर महिला बहुत परेशान हो गई। यह भी बताएं कि फल का ठेला लगाकर यह लोग अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं,10 हजार रुपये अधिक बताए जाने से महिला परेशान तो हुई वही जब बॉडी ले जाने की बात कही गई तो यह सुनकर महिला के सामने पहाड़ टूट पड़ा।
वही बाद में यह बात भी स्पष्ट हुई कि अस्पताल के स्टाफ द्वारा बॉडी शब्द का इस्तेमाल किए जाने से महिला के मन में यह विचार आ गया था कि उनके पति शायद जीवित नहीं है और वेंटिलेटर पर इसीलिए रख जा रहा है ताकि अस्पताल का बिल बढ़ सके। यह विचार महिला के मन में आने के बाद आशा श्रीवास्तव द्वारा यह बात कही जा रही थी कि उन्हें भ्रम में न रखा जाए और जो भी स्थिति है क्लियर किया जाए। अस्पताल प्रबंधन के आने पर यह बात पूरी तरह स्पष्ट हुई कि मरीज वर्तमान में जीवित है और वेंटीलेटर पर है लेकिन मरीज की स्थिति बहुत खराब है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा यह भी कहा गया कि मरीज को आईसीयू में भर्ती रखा जाएगा और इलाज भी चलेगा, यही नहीं गरीब परिस्थिति होने के चलते इन्हें 20,000 से अधिक रुपए नहीं देने की बात भी कही गई। यह सुनकर सभी लोग एवं मरीज के परिजन भी सहमत हुए।
इस दौरान मरीज की पत्नी श्रीमती आशा श्रीवास्तव ने बताया कि पीलिया के कारण उनके पति का स्वास्थ्य बहुत ज्यादा खराब हो गया था जिन्हें इलाज के लिए बालाघाट हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। यहां भर्ती किये आज पांचवा दिन है, आज कहां जा रहा है मरीज को गोंदिया ले जाओ या घर ले जाओ मरीज की कंडीशन ज्यादा ही खराब है। यह भी कहा जा रहा है अस्पताल में भर्ती नहीं रहने पर एक घंटा तक जीवित रह पाएंगे वेंटिलेटर पर रखा गया है यह सुनकर हमें कुछ भी समझ नहीं आ रहा है उनके पति जीवित है या नहीं। रात में पूछने पर काउंटर में उन्हें 20 हजार रुपये बिल बताया गया था वही आज दिन उन्हें 30 हजार रुपये बताया जा रहा है। यह भी कहा गया 30,000 दोगे तभी बॉडी ले जाने देंगे, कर्जा लेकर तो इलाज करवा रहे हैं इससे उन्हें समझ में नहीं आ रहा है क्या करें।
वही इस मामले के संबंध में चर्चा करने पर बालाघाट अस्पताल प्रबंधन के डॉ प्रवीण भारती ने बताया कि यह मरीज भर्ती हुआ था बहुत गंभीर स्थिति में था एडमिशन के साथ ही इन्हें बताया गया था मरीज की स्थिति ठीक नहीं है आईसीयू में भर्ती करना पड़ेगा।
इलाज किये लेकिन सुधार नहीं आया, हमने बताए थे यह प्राइवेट अस्पताल है जितने दिन मरीज भर्ती रहेगा इसका खर्चा आएगा। हमने आज भी इन्हें बताया है इनके मरीज की स्थिति ठीक नहीं है इन्हें कहीं और ले जाना चाहते हैं तो ले जा सकते हैं, यह व्यक्ति अभी जीवित है लेकिन पेशेंट की रिकवरी के कोई चांस नहीं है।