मध्यप्रदेश में ग्रेजुएट ज्यादा बेरोजगार क्यों ?रोजगार गारंटी अयोग गठित हो

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सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की नवीनतम रिपोर्ट से यह बड़ा खुलासा हुआ है कि मध्यप्रदेश में ग्रेजुएशन या उस से ऊपर कि पढ़ाई करने वाले १६ से २८ तथा उस से ऊपर उम्र के युवा कम पढ़े लिखे युवाओं से ज्यादा बेरोजगार हैं उक्ताश्य की जानकारी देते हुए नागरिक उपभोक्ता मंच के द्वारा प्रदेश में लाखों रिक्त पदों पर नियुक्तियां देने तथा व्यवसाय–व्यापार शुरू करने हेतु योजनाओं की समीक्षा कर समयानुसार सुधार करने हेतु मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ईमेल किया है।
मनीष शर्मा प्रांतीय संयोजक नागरिक उपभोक्ता मंच ने बताया कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट में स्पष्ट आंकड़े दिए गए हैं की मध्यप्रदेश में ग्रेजुएशन लेवल के पश्चात १८ प्रतिशत से अधिक युवा बेरोजगार हैं जबकि ५वी से कम पढ़े लिखे युवाओं में बेरोजगारी दर मात्र ०.५५,प्रतिशत बस है अर्थात कम पढ़े लिखे लोगो हेतु रोजगार के अवसर ज्यादा है। वही अगर २८ वर्ष से अधिक उम्र के ग्रेजुएट युवाओं की बात की तो बेरोजगारी दर २८ प्रतिशत से ज्यादा है, महिलाओं कि बात की जाए तो यह दर ५८ प्रतिशत से अधिक है।
सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है …..
उपभोक्ता मंच के राकेश चक्रवर्ती, राजेश वर्मा, सुधीर खरे, प्रफुल्ल सक्सेना, मधुबाला श्रीवास्तव, आश्रिता पाठक, संतोष वर्मा,विनोद पांडेय, पवन कौरव,सज्जाद अली, आदि सदस्यों ने मुख्यमंत्री पर रोजगार उपलब्ध करवाने के मामले में पूर्णत असफल होने का आरोप लगाया है, सरकारी विभागों में आधे से अधिक पद खाली पड़े हैं, स्टार्टअप योजनाओं में कठिन प्रक्रिया –टैक्स का बोझ होना, उत्पादों को बेचने में कोई सहायता नही प्रदान करना, अनियमित क्षेत्रीय विकास करना, अच्छे एवम उच्च श्रेणी के शिक्षण संस्थानों न होना आदि प्रमुख प्रदेश में होने का आरोप लगाया, पत्र के माध्यम से रोजगार हेतु एक आयोग गठन की मांग की है।

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