प्रदेश में जहां-जहां भी भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े, उन्होंने लीलाएं रचीं, उन सभी पवित्र स्थानों को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किए जाने की मोहन यादव सरकार ने घोषणा की है। इन पवित्र स्थलों में उज्जैन का सांदीपनि आश्रम, ग्राम नारायणा तथा धार जिले के अमझेरा व बदनावर क्षेत्र प्रमुख रूप से शामिल हैं।
मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए इन स्थलों पर सुविधाएं बढ़ने की उम्मीद जागी है। सुविधाएं बढ़ने पर ये सभी स्थल तीर्थ सहित पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन सकते हैं।
अमझेरा में किया था माता रुक्मिणी हरणधार जिले की प्राचीन नगरी अमझेरा में माता रुक्मिणी हरण स्थल है। धार्मिक व पौराणिक मान्यता के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अमझेरा स्थित अतिप्राचीन अंबिकालय (अमका-झमका माता मंदिर) से रुक्मिणी जी का हरण किया था। रुक्मिणी हरण पश्चात उन्हें द्वारिका लेकर गए थे। इस दौरान रुक्मिणी के भाई रुखमी ने भगवान श्रीकृष्ण से युद्ध किया था। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें परास्त कर दिया था।
श्री कोटेश्वर महादेव धाम में किया था पूजनधार जिले के बदनावर क्षेत्र के ग्राम कोद में अतिप्राचीन श्री कोटेश्वर महादेव धाम भगवान श्रीकृष्ण की रजोभूमि है। महाभारतकालीन उक्त मंदिर का श्रीमद्भागवत महापुराण के दशम स्कंध में उल्लेख है। भगवान श्रीकृष्ण जब रुक्मिणी का हरण करने के लिए कुंदनपुर (अमझेरा) जा रहे थे, तब उन्होंने यहां रात्रि विश्राम कर महादेव का अभिषेक कर पूजा-अर्चना की थी। पश्चात द्वारिका लौटते समय भी वे यहां रुके और रुक्मिणी के साथ पुनः अभिषेक किया था। इसके अवशेष आज भी मौजूद हैं।