मध्य प्रदेश सरकार का जोर खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों पर, यह है कारण

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मध्य प्रदेश में खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए सरकार खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा दे रही है। कृषि अधोसंरचना निधि से खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां लगवाई जा रही हैं तो निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए मंडी शुल्क में छूट देने का निर्णय लिया गया है। संयंत्र एवं मशीनरी में निवेश के अधिकतम पचास प्रतिशत के बराबर राशि या पांच साल तक छूट दी जाएगी।

प्रदेश में उद्योग संवर्धन नीति 2014 से लागू है। इसमें खाद्य प्रंसस्करण के क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए मंडी शुल्क में छूट का प्रविधान भी है। इसके लिए मंडी अधिनियम के तहत कृषि विभाग अधिसूचना जारी करता है, जिसकी अवधि कोरोना काल में समाप्त हो गई थी। अब इसे संशोधित करके लागू किया गया है। इसमें प्रविधान किया है कि जो इकाइयां पहले से संचालित हैं, उन्हें भी इस सुविधा का लाभ मिलेगा।

इसके लिए जिला स्तरीय सहायता समिति अनुशंसा करेगी और मंडी बोर्ड के प्रस्ताव पर शासन अंतिम निर्णय करेगा। उत्पादन प्रारंभ होने से 120 दिन के भीतर मंडी शुल्क में छूट के लिए आवेदन करना होगा। उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ने बताया कि इस व्यवस्था से खाद्य प्रसंस्करण इकाई की स्थापना के लिए निवेशक प्रोत्साहित होंगे। वहीं, कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इससे प्रसंस्करण इकाइयां व्यापारियों के माध्यम से किसानों से उपज लेंगी। इससे किसान को उपज बेचने का एक विकल्प मिल जाएगा और उचित मूल्य मिलेगा।

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