जिला मुख्यालय रायसेन में सौ वर्ष से सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए श्रीरामलीला मंचन की परंपरा का निर्वहन हो रहा है। इस परंपरा की शुरुआत भोपाल रियासत के नवाब हमीदुल्ला ने की थी। आयोजन का समय दिसंबर के मध्य से जनवरी के प्रथम सप्ताह तक रखने के पीछे बीते वर्ष की विदाई और नववर्ष का उत्साह मनाना रहा है। इस बार 15 दिसंबर से आयोजन शुरू हो गया है जो कि 7 जनवरी 2022 चलेगा।
नवाब की रियासत का विलय होने के बाद 1956 से श्रीरामलीला मंचन की परंपरा का निर्वाह आयोजन समिति संभाल रही है। जिसके पदेन अध्यक्ष कलेक्टर होते हैं। कार्यकारी अध्यक्ष सहित अन्य सदस्यों के रूप में हिंदू समुदाय के लोग शामिल रहते हैं। वर्तमान समिति के कार्यकारी अध्यक्ष पं. ब्रजेश चतुर्वेदी ने बताया कि उनके पिता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. पं. रामनारायण चतुर्वेदी 1956 में समिति के कार्यकारी अध्यक्ष रहे हैं। आयोजन समिति का पुनर्गठन हर वर्ष होता है।
– सभी धर्म, समाज के लोग मंचन देखने आते हैं
श्रीरामलीला मंचन देखने सभी धर्म, समुदाय के लोग आते हैं। नवाब हमीदुल्ला ने श्रीरामलीला आयोजन के लिए यहां तीन एकड़ जमीन दी है। यह रामलीला मैदान शासकीय रिकार्ड में भी दर्ज है। मेला में झूला सहित अधिकांश दुकानें मुस्लिम समुदाय के लोग लगाते हैं। समाजसेवी महेश श्रीवास्तव व भैया मियां ने बताया कि श्रीरामलीला मेला से सांप्रदायिक सद्भाव बना हुआ है। जिला मुख्यालय व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग भी श्रीरामलीला मंचन देखने आते हैं।
स्थानीय कलाकार करते हैं अभिनय
श्रीरामलीला मंचन में स्थानीय कलाकार अभिनय करते हैं। पं. गंगाप्रसाद चतुर्वेदी ने बताया कि स्वयं के संसाधन से स्थानीय कलाकार मंचन में भाग लेते हैं। पात्रों का चयन अभिनय को देखकर किया जाता है। खुले मंच पर अभिनय के साथ कलाकार स्वयं संवाद बोलते हैं। श्रीरामलीला का मंचन श्रीगणेश भगवान के पूजन व नगर में शोभायात्रा निकालने से आरंभ होता है। अंतिम दिन श्रीराम-रावण युद्ध का मंचन होता है।
मुखौटा होता है आकर्षण का केंद्र
लंका पर विजय के बाद शहर में शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें 40 किलो वजनी हनुमानजी का मुखौटा पहने हुए पात्र मुख्य आकर्षक का केंद्र होता है। एक माह तक ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले व्यक्ति को यह मुखौटा धारण करने की पात्रता होती है। पिछले 65 वर्ष से किसी न किसी व्यक्ति द्वारा यह मुखौटा धारण किया जा रहा है।