कांग्रेस सिर्फ ट्वीट तक सिमट गई है। देश इनकी राजनीति को समझ चुका है इसलिए पार्टी का यह हश्र हो रहा है। पार्टी नेता राहुल गांधी हों या फिर कमल नाथ, उन्होंने पूरे कोरोना काल में एक आदमी की मदद नहीं की। डेढ़ साल घरों में बैठकर सिर्फ ट्वीट करते रहे। बेरोजगारी और गरीबों को लेकर वे लोग सवाल उठा रहे हैं जो सर्वाधिक समय तक सत्ता में रहे हैं। यह बात गृह मंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से चर्चा में सोमवार को कही।
घर में बैठकर #Twitter के सहारे राजनीति करने वाले राहुल बाबा और कमलनाथ जी पूरे #Corona काल में किसी #COVID19 सेंटर में जाने या अनाज बांटने की कोई फोटो ट्वीट करते तो देश की जनता को अच्छा लगता।
उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार सभी कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्कूलों को पचास प्रतिशत की क्षमता के साथ खोलने के आदेश दिए हैं। इसको लेकर कहीं कोई भ्रम की स्थिति नहीं है। बच्चों को स्कूल बुलाने के लिए पालकों की सहमति अनिवार्य है। यदि वे सहमति देते हैं तो ही वे स्कूल जाएंगे। आनलाइन क्लास लगातार चलती रहेगी।
भोपाल और इंदौर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने को लेकर उन्होंने कहा कि प्रक्रिया पूर्णता की ओर है। जल्द ही इसे लागू किया जाएगा। वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष द्वारा की जा रही बैठकों पर कहा कि भाजपा ही देश की एक मात्र ऐसी पार्टी है, जहां कार्यकर्ता से सीधा संवाद बना रहता है। यह संगठन के कार्यकर्ताओं ने जो नवाचार किए हैं, उन्हें सरकार तक पहुंचाने और सरकार की बात को संगठन तक पहुंचाने की एक सतत प्रक्रिया है।
खाद की किल्लत से परेशान किसानों पर अब बिजली कटौती की मार
– पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि प्रदेशभर में चल रही बिजली की अघोषित कटौती
प्रदेश में किसान खाद की किल्लत से पहले से परेशान थे और अब बिजली की कटौती शुरू हो गई है। इससे रबी सीजन की फसलें प्रभावित हो रही हैं। किसान सरकार से समस्या सुलझाने की मांग कर रहे हैं पर उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने सोमवार को कही।
उन्होंने ट्वीट किया कि पूरे प्रदेश में खाद की कमी है। सरकार दावा कर रही है कि यूरिया और डीएपी खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। केंद्र सरकार से भी लगातार खाद की आपूर्ति हो रही है। इसके बाद भी किसान दुकानों के बाहर लाइन लगाकर खड़े हैं। अब बिजली की अघोषित कटौती भी प्रारंभ हो गई है। इससे सिंचाई प्रभावित होगी, जो रबी फसलों के लिए बेहद जरूरी है। किसानों की चिंता करने की जगह सरकार भवनों के नाम बदलने, वर्गों को साधने और अपना वोटबैंक बढ़ाने की कार्ययोजना बनाने में ही व्यस्त है।










































