महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के सरकारी दावे फेल

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महिलाओं की आय बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा करीब 2 वर्ष पूर्व महिला समूह के माध्यम से समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन का कार्य कराया गया था। इसका उद्देश्य यही था कि इससे महिलाओं को काम मिलेगा ,उनकी आय बढ़ेगी और महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी होकर आत्मनिर्भर बनेगी। जहां 2 वर्षों तक सरकार ने महिला स्वसहायता समूहों को उपार्जन का कार्य देकर समूह से जुड़ी महिलाओ को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया। लेकिन अब भी ऐसे कई महिला स्वसहायता समूह है।जिन्हें 2 वर्षो से उपार्जन कार्य का भुगतान नही किया गया है।और ना ही उनके द्वारा जमा की गई सुरक्षा निधि वापस की जा रही है।ऐसे में जिले के विभिन्न केंद्रों पर समर्थन मूल्य में धान उपार्जन का कार्य करने वाली महिला समूहो को आर्थिक व मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। और वे 2 वर्षो से बक़ाया उपार्जन कमीशन की राशि और शासन के पास जमा एफ़डी को वापस किए जाने की मांग कर रही है। लेकिन लाख जतन के बावजूद भी उन्हें ना तो उपार्जन का कमीशन मिल रहा है ना ही उनके द्वारा जमा कराई गई एफडी उन्हें वापस की जा रही है।जिसको लेकर महिला स्वसहायता समूह की महिलाएं काफी परेशान है जिसको लेकर वे आए दिनों शासकीय कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं। बावजूद इसके भी उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।जिस पर अपनी नाराजगी जताते हुए जिले की विभिन्न स्वसहायता महिला समूह प्रतिनिधियों ने कलेक्ट्रेट कार्यालय में एक ज्ञापन सौंपकर वर्ष 2021-22, और वर्ष 2022-23 में किए गए धान उपार्जन के कार्य का भुगतान किए जाने और उनके द्वारा सुरक्षा के तौर पर जमा कराई गई एफ़डी को वापस दिए जाने की मांग की है। जहां इन महिलाओं ने मांग पूरी न होने पर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है।

कई तरह के अटके भुगतान, महिलाएं लगा रही अधिकारियों के चक्कर
शासन द्वारा करीब 2 वर्ष पूर्व महिला सशक्तिकरण के नाम पर महिलाओं को रोजगार देने और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा कर उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए धान खरीदी का कार्य दिया गया था।जिसमें सोसायटी समिति के अलावा महिला स्वसहायता समूह के माध्यम से भी शासन द्वारा धान का उपार्जन कार्य कराया गया था। लेकिन ऐसी कई महिला स्वसहायता समूह है जिन्हें शासन द्वारा अब तक उपार्जन कार्य का भुगतान नहीं किया गया है। जिसके चलते जहां एक ओर महिला स्वसहायता समूह परेशान है, तो वही उन समूह में काम करने वाले मजदूरों को भी उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं हो पाया है। अब 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी महिला स्वसहायता समूहों को उनके कार्य का भुगतान न होने पर वे शासकीय कार्यालय के चक्कर काटने के लिए मजबूर है। बावजूद इसके भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।उधर भुगतान ना होने के चलते समूह से जुड़ी महिलाओ का कमीशन, लेबर पेमेंट ,हैंडलिंग चार्ज, सहित अन्य कार्यों के भुगतान अटक गए है।वही इन स्वसहायता समूहों में काम करने वाले लोगो को भी भुगतान नही मिल पा रहा है।

17 समूह का अटका है 5671215-92 रु भुगतान
क्र. समूह का नाम ग्राम बकाया
1) स्वाभिमान आजिवीका-रजेगांव 1122966.93
2) रिया आजिवीका स्व. – देवरी- 203658.26
3) सर्वोदय आजिवीका- गढ़ी- 942088.17
4) ओम आजिवीका – मानेगांव- 597561.46
5) दुर्गा आजिवीका- महकेपार- 57240.04
6) जयश्री आजिवीका- भानेगांव- 3627.82
7) शारदा आजिवीका- गुडरु- 314857.91
8) सरस्वती आजिवीका- कटोरी- 385744.67
9) महिमा आजिवीका- तिरोड़ी- 485732.77
10)राजाभोज आजिवीका- माझापुर- 53289.64
11)ओम शांति आजिवीका- ढिबी- 15228.48
12 गंगा अनुपमा आजि. -मेढकी- 178922 .63
13) लक्ष्मी आजिवीका- लडसरा- 30707.75
14) महक आजिवीका -किशनपुर 2 – 5982933
15)गौंडवाना आजि. -माला गढी1- 707313.46
16)गोंडवाना आजि.- माना गढ़ी 2- 44853686
17)प्रगति आजिवीका- हरदोली- 6891051

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