महिलाओं को उनके अधिकार दिलवाने के लिए महापुरूषों ने लड़ी है लड़ाई – विनीता

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नगर मुख्यालय से सटी ग्राम पंचायत पनबिहरी स्थित प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा केन्द्र में त्रिमूर्ति शिव जयंती एवं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर शिव अवतरण द्वारा १४ मार्च की रात ८ बजे महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम राजयोगनी बीके माधुरी बहन, पूर्व जिला पंचायत सदस्य श्रीमती विनीता सोनी, खमरिया पूर्व सरपंच श्रीमती लक्ष्मी वाघाड़े, खमरिया सरपंच श्रीमती ज्योति टेंभरे, भाजपा मंडल लालबर्रा पूर्व महिला मोर्चा अध्यक्ष श्रीमती अनिता अग्रवाल, जनपद सदस्य इंद्रकला रहांगडाले के प्रमुख आतिथ्य में प्रारंभ हुआ। जिसमें सर्वप्रथम उपस्थितजनों ने परमपिता परमेश्वर शिव बाबा के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण किया। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। साथ ही महिलाओं को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है उसके महत्व एवं उनके अधिकारों के बारे में भी विस्तार से बताया गया और महिलाओं से कहा गया कि अब महिलाएं चार दीवारी से बाहर निकलकर पुरूषों की अपेक्षा हर क्षेत्र में आगे बढऩे लगी है इसलिए सभी महिलाओं को संगठित होकर अपने हक व अधिकार की लड़ाई लडऩी चाहिए। वहीं देवेश भाई के द्वारा प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा केन्द्र संस्था किस प्रकार से समाजोत्थान के लिए कार्य करती है उसके बारे में बताते हुए कहा कि १२ विंस बनाये गये है यह विंस अपने-अपने क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रही है। मुख्य सेवा केन्द्र तपस्या धाम बालाघाट से पधारी राजयोगनी बीके माधुरी बहन ने महिला दिवस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज महिलाओं को सशक्तिकरण और स्वावलम्बन होना जरूरी है, आज भी कुछ ऐसे क्षेत्र है जहां महिलाओं को रूढ़ीवादी का शिकार होना पड़ता है, बस उन्हे घर की चार दीवारी तक ही सीमित रखा जाता है, आज हम सांसारिक दृष्टि से देखे तो आज महिलाएं आसमान की बुलंदियों को छु रही है, महिला किसी भी क्षेत्र में पीछे नही है और पुरूष के साथ कदम से कदम मिला कर चल रही है। जिसकी मिसाल ब्रम्हाकुमारीस बहनों से दिया जा सकता है इसलिए सभी महिलाओं से अपील है कि वे हर क्षेत्र में आगे बढक़र काम करें और अपने जीवन को बेहतर बनाये। पूर्व जिला पंचायत सदस्य श्रीमती विनीता सोनी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वैदिक काल में महिलाओं को पुज्यनीय माना जाता था उन्हे बहुत सम्मान दिया जाता था और इसी सम्मान के तहत पहले पति के नाम के आगे पत्नि का नाम लिया जाता था, जैसे राधा-कृष्ण, सीताराम, लक्ष्मी नारायण, गौरीशंकर सहित अन्य नाम शामिल है परन्तु जैसे ही समय बदलना प्रारंभ हुआ लोगों की समझ बदलनी शुरू हुई तो महिलाओं का सम्मान करना बंद हो गया किन्तु आज का समय पिछले दशक का समय नही रहा। पहले महिलाओं को मतदान करने का भी अधिकार नही था, मैं धन्यवाद देती हूं डॉ. भीमराव अंबेडकर, महात्मा ज्योतिबा फुले, माता सावित्री सावित्रीबाई फुले को जिन्होने महिलाओं को समाज में स्थान दिलवाने के लिए सामाजिक लड़ाई लड़ी। जिसके फलस्वरूप आज हम महिलाओं को ५० प्रतिशत का आरक्षण प्राप्त है और महिलाएं अब चार दीवारी से बाहर निकालकर अपने हक व अधिकार की लड़ाई लड़ सकती है एवं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। वहीं कार्यक्रम के अंत में राजयोगनी दादी वृहयमोहनी (गुलजार दादी) की स्मृति दिवस मनाकर उनके छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर श्रध्दांजली अर्पित की गई।

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