अब तक तो मालगाड़ियों के जरिए अनाज, गैस, फल, सब्जी, दूध और किराना सामान का ही परिवहन किया जाता है। अब रेत का भी परिवहन किया जाने लगा है। भोपाल रेल मंडल ने पहली बार होशंगाबाद के पवारखेड़ा स्टेशन से गुड्स ट्रेनों में रेत भरकर इंदौर में और सागर के मकरोनिया में भेजी है। इससे रेलवे को रिकार्ड राजस्व मिला है। भोपाल रेल मंडल 15 रैक भेज चुका है। आगे भी परिवहन किया जाता रहेगा। आमतौर पर रेलवे द्वारा रेत का परिवहन नहीं किया जाता यह रेलवे के माल लदान लिस्ट में नई परिवहन सामग्री जुड़ी है। आमतौर पर होशंगाबाद क्षेत्र से रेत का परिवहन सड़क मार्ग के जरिए ही किया जाता रहा है। वहीं जबलपुर रेल मंडल ने भी गुड्स ट्रेनों से दूसरी बार रेत का परिवहन किया है।पश्चिम मध्य रेलवे ने माल ढुलाई को बढ़ावा दिया है। इसके लिए मालभाड़ा प्रोत्साहन योजना लागू की है। इसकी मदद से व्यापारी, उद्योगपति व आम लोगों को ट्रेनों में बड़े स्तर पर माल लादकर ले जाने में लगने वाले किराए में छूट दी जाती है। कोरोना संक्रमण के दौरान छूट के दायरे को बढ़ा दिया गया है। पश्चिम मध्य रेलवे द्वारा तीनों मंडलों में स्थापित व्यापार विकास इकाइयां (बीडीयू) मार्केटिंग से माल ढुलाई में अच्छा-खासा राजस्व प्राप्त किया है।
पश्चिम मध्य रेल के मुख्य प्रवक्ता राहुल जयपुरिया ने बताया कि भोपाल मंडल के केपीएफपी से इंदौर मांगलिया गांव के लिए रेत परिवहन का काम अब भी जारी है। जबलपुर रेल मंडल ने दूसरी बार गाडरवारा माल गोदाम से लखनऊ के चौखंडी के लिए 3 हजार 834 टन रेत परिवहन करके 43 लाख रुपये का राजस्व हासिल किया है।राहुल जयपुरिया ने बताया कि माल परिवहन पर रेलवे ने जोर दिया है, ताकि इस क्षेत्र से मिलने वाले राजस्व से तीनों रेल मंडलों में अद्योसंरचना से जुड़े काम कराए जा सकें। कोरोना के दौरान भी ये सभी काम चालू रखे गए थे, लेकिन ऐसे काम जिनकी उपयोगिता तुरंत जरूरी नहीं थी, उन्हें शिथिल किया था। अब उन्हें भी चालू करवा रहे हैं। इसका फायदा आने वाले समय में लाखों रेल यात्रियों को मिलेगा। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए जोन से मालगाड़ियों के परिचालन को और आसान बनाने की कोशिशें की जा रही है। व्यापारी, उद्योगपति और छोटे-बड़े सभी कारोबारियों को माल परिवहन में लगने वाले भाड़े में 15 से 30 फीसद तक की छूट पात्रता के अनुसार दी जा रही है।