मीलों का सफर कर फरियाद लेकर पहुंचे बैगा आदिवासी

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बैहर क्षेत्र के सुदूर इलाकों में से एक हर्राभाट पंचायत के चरचेंडी गांव के बैगा आदिवासी जर्जर मार्ग से त्रस्त हैं। इस छोटे से गांव में ३० परिवार रहते हैं, लेकिन गांव आने और गांव से बाहर जाने के लिए सिर्फ एक मार्ग है, जो चलने लायक नहीं है। मंगलवार को करीब २५ बैगा आदिवासी क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे और गांव में सड़क बनाने की मांग रखी। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क बनाने के लिए कई बार प्रयास किए गए, लेकिन हर बार मांगों को अनसुना कर दिया गया। दरअसल, चरचेंडी गांव में महज डेढ़ किलोमीटर तक पक्की सड़क न बन पाने के पीछे बड़ी वजह वो चार घर हैं, जिनकी खेत की जमीन इस रास्ते में आती है। फसल लगने के बाद इस मार्ग से आना-जाना बंद पूरी तरह हो जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि इस संबंध में पूरे गांव ने उन चार किसान परिवारों से गांव की भलाई और लोगों की सुविधा के लिए सड़क बनाने के लिए थोड़ी जमीन देने की मांग की, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से साफ मना कर दिया। हर्राभाट सरपंच लक्ष्मी धुर्वे ने बताया कि मार्ग से आने-जाने बेहद मुश्किल होती है। बारिश के दिनों में तो पैदल चलना भी किसी चुनौती से कम नहीं होता। आपातकाल स्थिति में मरीज को गोद में मुख्य रास्ते तक लाना पड़ता है। मार्ग इतना जर्जर है कि मोटरसाइकिल चालक को वाहन ढकेलते हुए रास्ता पार करना पड़ता है। इस समस्या का एक ही समाधान है, उन चार किसान परिवारों की र$जामंदी। इस संबंध में कई बार प्रयास किए गए, लेकिन कोई सकारात्मक बदलाव नहीं हुए। सरपंच लक्ष्मी धुर्वे ने बताया कि चरचेंडी गांव में कच्चे रास्ते के अलावा पीने के पानी को लेकर भी बैगा आदिवासियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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