सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान हाल में जी-20 देशों के समिट में हिस्सा लेने के लिए भारत थे। इस समिट के बाद भारत और सऊदी अरब के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। इसमें खासकर एनर्जी के क्षेत्र में कई बड़े समझौते हुए हैं। भारत कई दशकों से सऊदी अरब से कच्चे तेल (Crude) और एलपीजी (LPG) का आयात करता रहा है। लेकिन अब भारत से सऊदी अरब को एनर्जी एक्सपोर्ट करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए दोनों देशों के बीच एक अंडरसी केबल बिछाने की भी योजना है। इसके जरिए भविष्य में सऊदी अरब को बिजली, रिन्यूएबल पावर और ग्रीन हाइड्रोजन का एक्सपोर्ट किया जाएगा। साथ ही भारत की कई कंपनियां बड़े पैमाने पर सऊदी अरब के एनर्जी सेक्टर में निवेश की तैयारी कर रही हैं।
सऊदी अरब में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स बनाने के लिए दो बड़े समझौते हुए हैं। पहला समझौता विनीत मित्तल की अगुवाई वाली अवाडा एनर्जी (Avaada Energy) और सऊदी अरब की कंपनी एईडब्ल्यू (Al Jomaih Energy and Water) के बीच हुआ है। दूसरा समझौता रुइया प्रमोटेड एस्सार ग्रुप (Essar Group) और सऊदी अरब की कंपनी डेजर्ट टेक्नोलॉजीज (Desert Technologies) के बीच हुआ है। एस्सार ग्रुप सऊदी अरब में 4.5 अरब डॉलर की लागत से एक ग्रीन स्टील प्लांट बना रहा है। अवाडा ग्रुप ने सऊदी अरब के साथ-साथ मध्य पूर्व के कुछ और देशों में भी रिन्यूएबल एनर्जी के प्रोजेक्ट लगाने की घोषणा की है।