पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बैहर आगमन को लेकर एक बार फिर तंज कसा है। जहां उन्होंने बैहर क्षेत्र में रहने वाले ज्यादातर बैगा ,आदिवासियों को शुद्ध पीने का पानी तक न मिलने की बात कहते हुए बच्चों में कुपोषण के मामले लगातार बढ़ने की जानकारी दी है ।इसके अलावा क्षेत्र के विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा करते हुए उन्होंने बैहर को जिला बनाए जाने की मांग की है। जहां उन्होंने न सिर्फ बैहर को बल्कि लांजी और वारासिवनी को भी जिला बनाने की घोषणा करने के साथ-साथ बालाघाट को संभाग बनाने की मांग की है। यह मांग पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने सोमवार को आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान की ।जहां उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती द्वारा बैहर को जिला बनाने वाला वादा याद दिलाते हुए मांग पूरी ना होने पर क्षेत्रीय लोगों के साथ मिलकर 5 अक्टूबर को मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया जाने की चेतावनी दी है। वहीं उन्होंने नक्सली एनकाउंटर के नाम पर भोले भाले ग्रामीणों की हत्या करने की बात दोहराते हुए फर्जी एनकाउंटर की सीबीआई जांच करने और फर्जी एनकाउंटर कर वीरता पुरस्कार पाने वाले पुलिस अधिकारियों से मेडल वापस लेकर उन्हें जेल में डालने की बात कही है। जिन्होंने फर्जी एनकाउंटर के मामले में सीबीआई जांच करने की मांग करते हुए मांग पूरी ना होने पर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मामले का खुलासा किए जाने की चेतावनी दी है।
बैहर को बनाया जाए जिला,नहीं तो करेंगे सीएम हाउस का घेराव
आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने बताया कि बैहर को जिला बनाने की मांग लंबे समय से चल रही है पूर्व में भारतीय जनता पार्टी से मुख्यमंत्री प्रत्याशी उमा भारती ने बैहर को जिला बनाने की बात कही थी।लेकिन मुख्यमंत्री रहते उन्होंने बैहर को जिला नही बनाया।वही भाजपा ने अपना वादा पूरा नहीं किया और आज तक बैहर को जिला नहीं बनाया गया है उन्होंने आगे बताया कि आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी आदिवासी बैग समुदाय के लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही है एक और आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है तो दूसरी ओर अमृत तो मिलना दूर की बात बैगा आदिवासी समाज के ज्यादातर लोगों को शुद्ध पानी तक नहीं मिल पा रहा है। अनाज के लिए लोगों को भटकना पड़ रहा है इसके अलावा आदिवासी क्षेत्रों में लगातार कुपोषण के मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि एक ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 4-5 छोटी-छोटी तहसीलों को जिला बनाने की घोषणा की गई है तो वही बैहर को जिला बनाने को लेकर उनका अब तक कोई बयान सामने नहीं आया है और लोग 100 किलोमीटर दूर से चलकर बालाघाट आते हैं। अगर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बैहर आ रहे हैं तो उन्होंने बैहर को जिला बनाने की घोषणा करनी चाहिए। यदि वह यह घोषणा नहीं करते तो बैहर क्षेत्र के लोगों के साथ 5 अक्टूबर को मुख्यमंत्री हाउस का घेराव किया जाएगा। क्योंकि बैहर क्षेत्र वासियों के साथ लगातार भेदभाव किया जा रहा है
लांजी, वारासिवनी को भी बनाए जिला, बालाघाट को बनाया जाए संभाग
श्री मुंजारे ने बैहर के अलावा लांजी और वारासिवनी को भी जिला बनाए जाने की मंशा जाहिर करते हुए बालाघाट को संभाग बनाए जाने की बात कही है। उन्होंने बताया कि वारासिवनी, खैरलांजी, कटंगी , लालबर्रा को मिलाकर जिला बनाया जाना चाहिए।वही लांजी क्षेत्र को नही जिला बनाकर ,बालाघाट को जल्द ही संभाग घोषित किया जाना चाहिए।इसके अलावा बालाघाट में 6 की जगह 9 विधानसभा सीट करनी चाहिए जहां बैहर जिले में बैहर और परसवाड़ा ऐसी दो विधानसभा सीट होनी चाहिए तब जाकर इन क्षेत्रों का विकास हो पाएगा।
माइंस का पैसा इधर-उधर कर रहे खर्च
उन्होंने मलाजखंड और उक़वा माइंस का जिक्र करते हुए बताया कि बैहर क्षेत्र में उकवा और मलाजखंड दो बड़ी माइंस है जहां से माइंस का पैसा आता है उसे उसी क्षेत्र के विकास में लगाना चाहिए। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी बैहर क्षेत्र से होने वाली आय और प्राप्त होने वाली राशि को कहीं और खर्च कर रहे हैं। जबकि क्षेत्र के लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं और लगातार बैहर क्षेत्र वासियों के साथ भेदभाव किया जिसे जल्द से जल्द खत्म किया जाना चाहिए।
अधिकारियों से वापस लिए जाए वीरता पुरस्कार,
फर्जी एनकाउंटर की हो सीबीआई जांच
पूर्व सांसद श्री मुंजारे ने एक बार फिर जिले में हुए नक्सली एनकाउंटरों को फर्जी एनकाउंटर बताते हुए इन एनकाउंटरों की सीबीआई जांच कराए जाने की मांग की है। उन्होंने बताया कि पुलिस वाले नक्सलियों को पकड़ते हैं फिर उनकी हत्या कर एनकाउंटर बताते है।पुलिस वीरता पुरस्कार और मेडल लेने के लिए उनकी हत्या करती है और उसे एनकाउंटर का नाम दे दिया जाता है ।बालाघाट जिले में वर्ष 2018 से लेकर अब तक 9 फर्जी एनकाउंटर हुए हैं ।जिसमें निर्दोष लोगो की हत्या की गई है। यह लोग फर्जी एनकाउंटर कर रहे हैं ग्रामीणों को मार कर नक्सली बता रहे हैं। पहले पुलिस द्वारा प्रलोभन दिया जाता है आत्म समर्पण करने बोलते हैं और जब वे आत्मसमर्पण कर देते हैं तो उन्हें पड़कर जंगल ले जाकर मार देते हैं और उसे एनकाउंटर बताते हैं। इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए। इसके पहले झाम सिंह धुर्वे, हीरालाल टेकाम दोनों ग्रामीणों की पुलिस ने हत्या की है बावजूद इसके भी इन्हें बहादुरी का इनाम मिला है हमारी मांग है कि इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए वहीं जिन पुलिस अधिकारियों को वीरता पुरस्कार मिले हैं उनसे यह पुरस्कार वापस लिया जाना चाहिए। इन पर एफआईआर दर्ज कर इन्हें जेल में डालना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो हम इसके खिलाफ हाई कोर्ट जाएंगे