भोपाल: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में 17 साल के इंतजार के बाद फैसला सुनाते हुए सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है, क्योंकि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश करने में विफल रहा। बरी होने के बाद पहली बार साध्वी प्रज्ञा का बयान भी सामने आया। उन्होंने कहा कि सत्य की जीत हुई। मुझे 17 साल तक अपमानित किया गया।
क्या बोलीं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने मालेगांव बम धमाके मामले में बरी होने के बाद कहा कि उन्हें 17 साल तक अपमानित किया गया। उन्हें 13 दिनों तक प्रताड़ित किया गया। उन्होंने कोर्ट के प्रति सम्मान दिखाते हुए फैसले के दिन कोर्ट में मौजूदगी दर्ज कराई। साध्वी प्रज्ञा ने यह भी कहा कि उन्हें गलत तरीके से आरोपी बनाया गया, जिससे उनका जीवन बर्बाद हो गया और उन्हें अपने ही देश में आतंकवादी बना दिया गया।
कोर्ट ने क्या कहा
कोर्ट में यह साबित नहीं हो पाया कि बाइक साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की थी और विस्फोट स्थल पर आरडीएक्स की मौजूदगी शामिल है। कोर्ट ने फैसला सुनाने से पहले कहा कि बाइक साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के होने के कोई सबूत नहीं मिले। आरोपियों पर यूएपीए नहीं लगाया जा सकता। जज ने केस का इतिहास सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि ब्लास्ट स्थल पर मिली बाइक में RDX लगाया गया था। कोर्ट ने कहा कि कुछ मेडिकल सर्टिफिकेट में हेराफेरी की गई है।
इन सबूतों के अभाव में बरी हुए आरोपी
आरोप था कि RDX लाया गया और उसका इस्तेमाल किया गया, लेकिन न तो पुरोहित के घर में RDX के भंडारण का कोई सबूत मिला और न ही यह साबित हुआ कि उन्होंने बम को असेंबल किया। जज ने यह भी कहा कि घटनास्थल से कोई खाली खोल बरामद नहीं हुए, जबकि फायरिंग की बात कही गई थी। न ही कोई फिंगरप्रिंट या DNA सैंपल लिया गया। मोटरसाइकिल का चेसिस नंबर मिटा दिया गया था और इंजन नंबर को लेकर भी संदेह बना रहा। साध्वी प्रज्ञा के वाहन की मालिकाना हक या कब्जे को लेकर कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया जा सका।
बैठकों के भी ठोस सबूत नहीं मिले
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि फरीदाबाद, भोपाल आदि में हुई कथित षडयंत्रकारी बैठकों का कोई प्रमाण नहीं मिला। न ही कोई साजिश या बैठकें साबित हो सकीं। अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष की ओर से सुनवाई और अंतिम दलीलें पूरी करने के बाद 19 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने कहा था कि अप्रैल में सुनवाई पूरी हो चुकी है, लेकिन मामले में एक लाख से अधिक पन्नों के सबूत और दस्तावेज होने के कारण, फैसला सुनाने से पहले सभी रिकॉर्ड की जांच के लिए अतिरिक्त समय चाहिए।
सभी को फैसले के दिन कोर्ट में रहने के दिए गए थे आदेश
सभी आरोपियों को फैसले के दिन कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया गया था। कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी थी है कि जो आरोपी उस दिन अनुपस्थित रहेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में सात लोग, जिनमें लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय शामिल हैं, जिन पर मुकदमा चला। इन सभी लोगों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे।
मालेगांव विस्फोट के बारे में जानिए
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में रमजान के पवित्र महीने में और नवरात्रि से ठीक पहले एक विस्फोट हुआ। इस धमाके में छह लोगों की जान चली गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से पूछताछ की, जिनमें से 34 अपने बयान से पलट गए।