मूर्तिकार भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को दे रहे अंतिम रूप

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भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व जन्माष्टमी प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी नगर मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में ६ सितंबर को धूमधाम से मनाया जायेगा जिसकी तैयारी श्रध्दालुओं के द्वारा जोरो से की जा रही है। वहीं मूर्तिकार भी भगवान श्रीकृष्ण की मनमोहक मूर्तियों को अंतिम रूप देने के साथ ही उसमें रंग-पेट करने लगे है और ४ सितंबर को बाजार में मूर्ति बिकने भी आ जायेगी। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह है और मूर्तियों को भव्य रूप देने के लिए मूर्तिकार दिन-रात काम में जुटे हुए हैं परन्तु महंगाई के कारण मूर्ति के भाव में भी इजाफा होने की बात कही जा रही है। वहीं ६ सितंबर को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव पर्व भक्तिभाव के साथ मनाया जायेगा जिसको लेकर भक्तजन तैयारी में जुट गये है। आपकों बता दे कि नगर मुख्यालय के कुम्हारी मोहल्ला में मूर्तिकारों के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को अंतिम रूप देने का कार्य कर रहे है परन्तु मिट्टी खदान उपलब्ध नही होने के कारण दुर से मिट्टी लाकर मूर्ति एवं मिट्टी के बर्तन बनाने का कार्य कर रहे है जबकि मूर्तिकारों के द्वारा प्रशासन से मिट्टी खदान के साथ ही जलाऊ लकड़ी एवं शासन से अन्य सुविधा मुहैया करवाने की मांग पूर्व में कर चुके है परन्तु अब तक उनकी मांगों को पूरा नही किया गया है जिससे उन्हे अपना पुस्तैनी कार्य करने में परेशानी हो रही है किन्तु प्रशासन के द्वारा कुम्हार (मूर्तिकारों) की मांगों की ओर कोई ध्यान नही दिया जा रहा है जिससे उनमें शासन-प्रशासन के प्रति आक्रोश व्याप्त है। मूर्तिकारों ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को अंतिम रूप देने का कार्य किया जा रहा है जो ४ सितंबर तक पुरी तरह से मूर्ति तैयार हो जायेगें जिसके बाद बाजार में ले जाकर विक्रय किया जायेगा, मूर्ति में रंग-पेट का कार्य जारी है और क्षेत्रीयजन घर पहुंचकर व बाजार से मूर्ति खरीदी कर बुधवार की रात में नंदलाला की मूर्ति स्थापना कर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनायेगें। साथ ही यह भी बताया कि मिट्टी के बर्तन व मूर्ति निर्माण के लिए मिट्टी की आवश्यकता होती है परन्तु लालबर्रा में मिट्टी उपलब्ध नही हो पा रही है ऐसी स्थिति में महंगे दामों में मिट्टी खरीदी कर मूर्ति व मिट्टी के बर्तन बनाने का कार्य कर रहे है और हमारा मूल व्यवसाय मिट्टी पर निर्भर है इसलिए शासन-प्रशासन से मांग है कि मिट्टी हमें पास से उपलब्ध करवाये ताकि हम लोग अपनी पुस्तैनी कार्य को निरंतर करते हुए उससे प्राप्त आय से परिवार का पालन-पोषण अ’छे से कर सके।

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