मृतकों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पैसे का गबन करने के मामले में

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अपर सत्र न्यायाधीश भू भास्कर यादव की बैहर की अदालत ने शासकीय माध्यमिक विद्यालय डोरा के सहायक ग्रेड 3 लेखापाल विवेक मेश्राम पिता विश्वनाथ मेश्राम वार्ड नंबर 13 बूढ़ी बालाघाट निवासी को 7 वर्ष की कठोर कारावास और 50 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किए। इस आरोपी के विरुद्ध शासकीय माध्यमिक विद्यालय डोरा के सहायक ग्रेड 3,लेखापाल के पद पर रहते हुए मृतक और सेवानिवृत्त कर्मचारियों का पैसा गबन कर धोखाधड़ी करने का आरोप था।

अभियोजन के अनुसार शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय डोरा में प्राचार्य के पद पर अनंत माहुले और सहायक ग्रेड 3 के पद पर विवेक मेश्राम पदस्थ थे स्कूल के सभी कर्मचारियों के वेतन वह देख बनाने संबंधी लेखा का कार्य विवेक मेश्राम द्वारा किया जाता था। उच्च विद्यालय में पदस्थ चैनलाल की मृत्यु हो गई थी। चल लाल के पुत्र कन्हैयालाल ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए प्राचार्य अनंत माहुले से संपर्क किया तब उसे प्राचार्य द्वारा बताया गया है कि चैनलाल आकस्मिक निधि से वेतन प्राप्त करता था। उसकी मृत्यु पर अनुकंपा नहीं मिल सकती कुछ दिन बाद कन्हैयालाल ने कलेक्टर को शिकायत किया था कि विवेक मेश्राम ने उसे नौकरी लगाने के नाम पर 60 हजार रुपए लिए हैं । इस मामले की जांच प्रारंभ होने पर विवेक मेश्राम ने कन्हैयालाल को 70000 रूपये एकमुश्त वापस कर दिया था। जिसके बाद प्राचार्य अनंत महोदय को शंका हुई तब उन्होंने मृतक चैनलाल की पत्नी बयनबाई का पासबुक बुलाकर देखा प्राचार्य ने स्कूल के अभिलेखों के परीक्षण में पाया कि चैनलाल की मृत्यु पश्चात अनुग्रह राशि19200 रूपये , समूह बीमा की राशि 125000 रूपये जी आई एस की राशि 23837 रूपये, अर्जित अवकाश नकदीकरण राशि 50688 रूपये, जीपीएफ की राशि 184244 रूपये, राहत पेंशन 23504 रूपये ग्रेजयूटी राशि 50252 रूपये, कुल 476761 रूपये चैनलाल के परिजनों को भुगतान करना दर्शाया गया था। जबकि चैनलाल के पुत्र कन्हैया लाल और उसकी पत्नी बयन बाई के पासबुक का अवलोकन किया गया तो उनके खाते में एक बार 19200रूपये, दूसरी बार 66846 रूपये, तीसरी बार 100000 रूपये चौथी बार 70000 हजार रुपए जमा कराया गया था। स्कूल से भुगतान बताइ गई राशि और मृतक के परिजनों द्वारा प्राप्त की गई राशि के आंकड़ों में काफी भिन्नता थी। प्राचार्य अनंत माहुले ने आरोपी विवेक मेश्राम का पासबुक बुलाकर चेक किया।तो पाया गया कि आरोपी विवेक के व्यक्तिगत खाते में 50252 रूपये जमा हुआ था। प्राचार्य अनंत माहुले ने स्कूल केअभिलेखों में काफी काट छांट पाया। मृतक चैनलाल तथा सेवानिवृत्त शिक्षक बीएल भालेवार को देय पैसे उनके खाते में जमा नहीं हुए थे विवेक मेश्राम ने अभिलेखों वह आंकड़ों में हेरफेर करके कुछ राशि अपने व्यक्तिगत खाते में जमा कर लिया था। जिसकी शिकायत आज प्राचार्य अनंत माहुली ने सहायक आयुक्त आदिवासी विकास से की थी सहायक आयुक्त द्वारा मामले की जांच हेतु 3 सदस्य टीम बनाई गई थी जांच में पाया गया कि विद्यालय के सभी कर्मचारी तथा आरोपी का खाता सतपुड़ा नर्मदा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में था वेतन बिल बनाने और जमा करने का काम आरोपी विवेक मेश्राम करता था। शिक्षक टी आर धुर्वे को देय रुपए आरोपी विवेक ने स्वयं की खाता में जमा करा लिया था। इसी राशि का दोबारा देयक बनाया और पुनः बैंक में प्रस्तुत कर 26191 रुपए आहरण कर लिया। मृतक चैनलाल के समूह बीमा राशि 125000 रूपये से संबंधित बिल हेरफेर कर भुगतान बताया किंतु यह राशि चैनलाल की पत्नी बयन बाई के खाते में जमा नहीं किया। चेन लाल के अर्जित अवकाश से संबोधित राशि 50688 रूपये का बिल तैयार कर कोषालय से चेक प्राप्त किया। किंतु या राशि बयन बाई के खाते में जमा नहीं किया। शिक्षक डी सी पटले अन्य कर्मचारियों का बिल तैयार कर अभिलेखों में उसे निरस्त बताया गया किंतु इस बिल से संबंधित चेक कोषालय से प्राप्त कर 98731 रुपए अपने व्यक्तिगत खाता में जमा कर लिया। सेवानिवृत्त प्रधान पाठक बीएल भालेवार की राशि 62469 रूपये विवेक मेश्राम के व्यक्तिगत खाते में जमा पाया। बयन बाई को देय राशि का धनादेश चेक को कोषालय से प्राप्त किया गया यह राशि विवेक मेश्राम के खाते में जमा पाई गई। विवेक मेश्राम ने कार्यालय के अभिलेखों में काफी काट छांट कर दिया था जिसके कारण कुछ राशि के बारे में यह पता नहीं चल पाया कि वह कहां गई जांच रिपोर्ट मिलने पर तत्कालीन सहायक आयुक्त नरोत्तम वरकडे ने थाना रूप घर में लिखित आवेदन भेजा जिस पर आरोपी विवेक मेश्राम के विरुद्ध धारा 409 420 467 468 477 भादवि के तहत अपराध दर्ज कर अनुसंधान जांच शुरू की गई अनुसंधान में यह पाया गया कि आरोपी विवेक मेश्राम ने उसी विद्यालय में पदस्थ रमेश बट्टी के खाते में84244 रूपये शिक्षक मोहम्मद इमरान के खाते में 65000 रूपये जमा करा दिया था और उन्हें भूल से जमा होना बताकर आहरण पंजी में उनका हस्ताक्षर करवा कर पैसा स्वयं निकाल लिया विवेक मेश्राम के विरुद्ध धारा 408 409 201 420 467 468 477 क आजादी के तहत अपराध का अभियोग पत्र विद्वान अदालत में पेश किया गया था। यह मामला बैहर के अपर सत्र न्यायाधीश भू भास्कर यादव की अदालत मे चला । जहां अभियोजन पक्ष आरोपी के विरुद्ध आरोपित अपराध सिद्ध करने में सफल रहा।

कठोर दंड से दंडित किया जाए एजीपी अशोक बाट

सजा के प्रश्न पर एजीपी अशोक बाट द्वारा व्यक्त किया गया कि आरोपी विवेक मेश्राम ने सेवानिवृत्त और मृत कर्मचारियों का पैसा गबन कर लिया इसे कठोर दंड से दंडित दिया जाए।

आरोपी ने मृत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पैसे का गबन किया है -विद्वान अदालत

विद्वान अदालत ने मामले की समस्त परिस्थितियों पर विचार करते हुए कहा कि आरोपी अदालत में उपस्थित होकर स्वयं अपने पैरों पर खड़ा है ।देखने में 40,42 वर्ष की आयु का प्रतीत होता है। आरोपी ने मृत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पैसे का गबन किया है यदि आरोपी बीमार है तो उसका उपचार जेल में भी किया जा सकता है। भ्रष्ट तरीके से पैसा कमाने वाले व्यक्ति यह सोचकर अपराध करते हैं कि दो चार साल जेल में काट लेंगे फिर कमाए हुए पैसे से मौज करेंगे ऐसे मामलों में साल दो साल कारावास का दंड कोई मायने नहीं रखता परिस्थितियों कठोर कारावास एवं प्रभावी दंड की अपेक्षा कर रही है।

और विद्वान अदालत ने सुनाई सजा

विद्वान अदालत ने प्रकरण की संपूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए आरोपी विवेक मेश्राम को धारा 409 भादवी के तहत अपराध के आरोप में 7 वर्ष की कठोर कारावास एवं 50000 रूपये अर्थदंड और धारा 467 भादवी के तहत अपराध के आरोप में 7 वर्ष की कठोर कारावास एवं 25000 रूपये अर्थदंड से दंडित किए। इस मामले में शासन की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक अशोक बाट द्वारा की गई थी

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