मृदा परीक्षण प्रयोगशाला बनी शोभा की सुपारी

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मध्य प्रदेश शासन के द्वारा प्रदेश में सभी विकास खंडों में मृदा परीक्षण प्रयोगशाला बनाने का प्रस्ताव लेते हुए स्वीकृत किया गया था। जिसके तहत वारासिवनी विकासखंड मैं जनपद शिक्षा केंद्र के सामने मृदा परीक्षण प्रयोगशाला बनाई गई थी। वह वर्तमान में शोभा की सुपारी बनी हुई है जिसका निर्माण वर्ष 2014 में किया गया था परंतु उद्घाटन के वर्षों बाद भी प्रयोगशाला प्रारंभ ना होने से किसानों को मिट्टी परीक्षण में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिन्हें बालाघाट प्रयोगशाला के चक्कर लगाने पड़ रहा है क्योंकि उक्त प्रयोगशाला बंद है जिसमें शासन के द्वारा मशीनें उपलब्ध करा दी गई है किंतु तकनीकी रूप से प्रशिक्षक व्यक्ति की नियुक्ति नहीं की गई है जिसकी राह देखते हुए उक्त भवन जर्जर हो रहा है। जिससे क्षेत्रवासियों में आक्रोश व्याप्त है और वे लगातार मृदा परीक्षण प्रयोगशाला प्रारंभ करने की मांग कर रहे हैं।

किसान हो रहे परेशान

नगर में निर्मित मृदा परीक्षण प्रयोगशाला प्रारंभ ना होने के कारण क्षेत्र के किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है जिसके लिए उन्हें बार-बार कृषि विभाग व बालाघाट मृदा प्रयोगशाला के चक्कर लगाने होते हैं कि उनकी मट्टी का परीक्षण हो जाये। जिसमें करीब 2 दिन और आर्थिक रूप से आने जाने की परेशानी होती है। यदि यह प्रयोगशाला प्रारंभ हो जाए तो क्षेत्र के कई किसानों को सुविधा होगी और हर किसान अपनी मिट्टी का परीक्षण करा सकेगा। जिससे वह मिट्टी में डाली जा रही अंधाधुंध खाद के दुष्प्रभाव से भी बच सकेंगे परन्तु मृदा परीक्षण के अभाव में उपज पर पड़ने वाले असर से किसान परेशान है।

आधुनिक मशीनें हो रही खराब

प्रयोगशाला भवन में मट्टी की उर्वरा जांचने के लिए आधुनिक मशीनें शासन के द्वारा किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए भेजी गई है। किंतु वह वर्तमान में कबाड़ के रूप में यथावत रखी हुई है जिसे खोला भी नहीं गया है क्योंकि उनके इंजीनियर नहीं आए हैं। वही कुछ मशीनों को खोलकर उसके स्थान पर उसे जमा दिया गया है जो रखे धूल खा रही है ऐसे में यदि उक्त आधुनिक मशीनें खराब हो जाती है तो शासन का लाखो रुपया व्यर्थ में व्यय होगा। क्योंकि जिस उद्देश्य से शासन में मशीनें मुहैया कराई गई थी उसका कोई उपयोग ही नहीं हो पा रहा है।

भवन की स्थिति जर्जर

मध्य प्रदेश शासन के प्रस्ताव के बाद वर्ष 2014 में लागत करीब 25 लाख रुपए से नवनिर्मित मृदा परीक्षण प्रयोगशाला का निर्माण किया गया था और निर्माण एजेंसी ने विभाग के सुपुर्द किया था। जिसके बाद से उक्त भवन यथावत बंद पड़ा हुआ है जिसमें देखरेख और साफ-सफाई के अभाव में भवन जर्जर हो रहा है। वही भवन की खिड़की में लगे सभी कांच टूट-फूट हो गए हैं। जिस पर विभाग के द्वारा चादर, नेट की जाली, बोरी लगाकर झांका गया है जो भवन की स्थिति को बताता है। वहीं भवन के चारों तरफ बेतहाशा गंदगी झाड़ियां फैली हुई है जिसके कारण दीवारों पर हरि काई चढ़ चुकी है इसे देखकर शासकीय राशि का दुरुपयोग भी प्रतीत हो रहा है।

किसानों को मृदा परीक्षण की नही है जानकारी

क्षेत्र मैं ऐसे कई किसान है जिन्हें मृदा परीक्षण की जानकारी नहीं है यह क्या होता है और कहां कराया जाता है ये भी नही पता है। क्योंकि क्षेत्र में केवल मृदा परीक्षण प्रयोगशाला का निर्माण हुआ है ना कि मृदा परीक्षण का कार्य प्रारम्भ जिसके कारण कई किसानों को जानकारी नहीं है। वहीं कृषि विभाग के अधिकारी कर्मचारी भी किसानों को जानकारी नहीं दे पाते हैं क्योंकि परीक्षण के लिए बालाघाट जाना होता है ऐसे में उन किसानों को उनकी मृदा की उर्वरा शक्ति पता नहीं चल पाती। जिसके कारण वे तरह-तरह की खाद डाल कर जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म करते हैं जिसका फसल पर प्रभाव पड़ता है। वही जिन्हें पता है उन्होंने सेम्पल लेकर चक्कर लगाया किंतु प्रारम्भ नही होने से वह आना बंद कर दिये।

नशेड़ियों का अड्डा बना मृदा भवन

यह मृदा परीक्षण प्रयोगशाला भवन बुरी तरह जर्जर हो गया है जिसके पीछे एफसीआई गोदाम की बाउंड्री और बाजू में पुराना गोदाम है। जिसके बीच झाड़ियां होने से वहां पर लोगों का आना-जाना नहीं है जहां नशेड़ियों का अड्डा बना हुआ है उक्त स्थान पर शराब की बोतले व अन्य प्रकार कि नशे की वास्तु पड़ी हुई है जहां नशेड़ियों की सुबह से देर रात तक बैठक लगी रहती है।

किसान राजेश पंचेश्वर ने बताया कि हमारे यहां मृदा परीक्षण प्रयोगशाला का भवन बना हुआ है जिसे देखकर मेरे द्वारा करीब चार से पांच बार अपने खेत की मिट्टी की जांच करवाने के लिए उक्त भवन में गया हुआ था। किंतु हर बार वह मुझे बंद ही मिला जहां पर कोई व्यवस्था समझ नहीं आई जिस पर वरिष्ठ कार्यालय से जानकारी ली गई तो पता चला कि अभी चालू नहीं हुआ है। तब से वह आज तक चालू नहीं हुआ है 10 वर्ष होते आ गए हैं जब यह व्यवस्था किसान के लिए की गई है तो उसे जल्द चालू करना चाहिए ताकि किसानों को लाभ मिल सके। वर्तमान में हर किसान वंचित हो रहे हैं पता ही नहीं लग पा रहा है की मिट्टी में किस तत्व की मात्रा अधिक है जिसका नुकसान किसानों को फसल में उठाना पड़ रहा है। हम यही चाहते हैं कि मृदा परीक्षण प्रयोगशाला प्रारंभ की जाए हमें हमारी मिट्टी की रिपोर्ट दी जाए ताकि हम उसे हिसाब से खाद एवं दवा का छिड़काव कर सके।

किसान राजकुमार चौधरी ने बताया कि किसान की समस्या को देखते हुए वर्ष 2014 में मृदा परीक्षण प्रयोगशाला का शुभारंभ किया गया था जो शासन के द्वारा किसानों की मिट्टी की जांच करने के लिए बनाई गई थी। जो आज वर्ष 2024 में भी प्रारंभ नहीं हो पाई है शोभा की सुपारी बनी हुई है शासन के द्वारा शासकीय राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है। वर्तमान में वह भवन जर्जर हालत में पहुंच गया है खिड़की दरवाजे सब टूट चुके हैं भवन भी खंडर बनने के लिए बढ़ रहा है परंतु किसी भी जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी के द्वारा उसे प्रारंभ नहीं करवाया गया है। ऐसे में नुकसान किसान को ही हो रहा है क्योंकि वह जानकारी के अभाव में खेती कर रहा है। यह शासन के लाखों रुपए का दुरुपयोग है इसका किसानों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है कृषि विभाग केवल विज्ञापन में प्रचार कर रहा है किसानों से संपर्क कर जानकारी नहीं दे रहा है। मेरे द्वारा भी खेत की मिट्टी का सैंपल जांच के लिए दिया गया था आज तक उसकी रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है।

जावेद अली ने बताया कि हमारा क्षेत्र कृषि प्रधान है यहां पर 75 प्रतिशत से अधिक लोग खेती किसानी कर अपना जीवन व्यापन एवं आर्थिक स्थिति को मजबूत करते हैं। जिसके लिए वर्षों पहले सरकार से मृदा परीक्षण प्रयोगशाला का निर्माण किया गया था ताकि हर किसान की मिट्टी की जांच की जा सके और उसे सही निर्देश दे कि वह कौन सी खाद कितनी मात्रा में डालें। परंतु यह केवल स्वप्न ही बनकर रह गया है क्योंकि उक्त भवन शुभारंभ के बाद से शोभा की सुपारी बना हुआ है 10 साल में देख रहे भवन जर्जर भी हो रहा है जहां पर लाखों रुपए की मशीन भी खराब हो रही है। परंतु ना ही विभाग व ना ही जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी इस पर आज तक ध्यान दिए हैं किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। यह बहुत गलत काम है जब भवन का निर्माण किया गया है तो स्टाफ की भर्ती कर सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए परंतु इस प्रकार से किसानों को परेशान नहीं करना चाहिए हम चाहते हैं कि उक्त प्रयोगशाला को अतिशीघ्र प्रारंभ किया जाये।

प्रभारी वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी प्रतिभा टेंभरे ने दुरभाष पर बताया कि वर्तमान में जिले में लेब प्रारंभ है जहां पर किसानों की मिट्टी का परीक्षण हो रहा है तो क्षेत्र की मिट्टी के सैंपल वहां ले जाए जाते हैं जहां से रिपोर्ट प्राप्त होती है उस पर खाद फसल संबंधी किसान को निर्देश दिए जाते हैं। अभी यहां पर भर्ती नहीं की गई है जिस कारण से प्रयोगशाला प्रारंभ नहीं हो पाई है जिसके लिए वरिष्ठ अधिकारी प्रयासरत है।

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