यह कैसा उपस्वास्थ्य केन्द्र, ग्रामीणों को ही नही पता……

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शासन के द्वारा ग्रामीण अंचलों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए उपस्वास्थ्य केन्द्र बनाये गये है ताकि ग्रामीणजन वहां पर प्राथमिक उपचार ले सके और उन्हे छोटी-मोटी बीमारियों के लिए शहर की ओर न आना पड$़े परन्तु शासन की योजना विफल होते नजर आ रही है क्योंकि शासन के द्वारा ग्रामीण अंचलों में उप स्वास्थ्य केन्द्र तो खोल दिये गये है परन्तु भवन उपलब्ध नही करवाया गया है ऐसी स्थिति में ग्रामीणजनों को स्वास्थ्य सेवाएं लेने में परेशानी हो रही है। इसी तरह लालबर्रा विकासखण्ड में कुल ३३ उपस्वास्थ्य केन्द्र है जिनमें से ६ नवीन उपस्वास्थ्य केन्द्र २-३ वर्ष पूर्व खोले गये है जो भवन के अभाव में आंगनवाड़ी केन्द्रों में नौनिहाल बच्चों के बीच संचालित हो रहा है जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। इस संबंध में जब पद्मेश की टीम के द्वारा ग्रामीणों से चर्चा की गई तो अधिकांश ग्रामीणों को पता ही नही है कि उनके ग्राम में उपस्वास्थ्य केन्द्र खोल दिये है और जानकारी के अभाव में वे उपचार के लिए शहर की ओर आ रहे है। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि शासन को उपस्वास्थ्य केन्द्र खोलने की जानकारी प्रचार-प्रसार के माध्यम से देना था, नवीन भवन का निर्माण किया जाना था साथ ही ग्रामीणों के बेहतर उपचार के लिए पर्याप्त स्टाप व दवाईओं की सुविधा होनी थी परन्तु ऐसा प्रतीत हो रहा है कि शासन के द्वारा सिर्फ कागजों में ही उपस्वास्थ्य केन्द्र खोल दिये गये है जमीन स्तर पर कुछ भी दिखाई नही देता। ग्रामीणजनों ने शासन-प्रशासन से सर्वसुविधायुक्त भवन निर्माण, बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए प्रशिक्षित स्टाप, दवाई उपलब्ध करवाने की मांग की है।
आंगनवाड़ी केन्द्रों व किराये के भवन में संचालित हो रहा उपस्वास्थ्य केन्द्र
आपकों बता दे कि शासन के द्वारा ग्रामीणजनों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की मंशा से लालबर्रा विकासखण्ड की ७७ ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों को नजदीक ही स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए ३३ उपस्वास्थ्य केन्द्र खोले गये है जिसमें २-३ वर्ष पूर्व ६ नये उपस्वास्थ्य केन्द्र खोले गये है जिसमें लालबर्रा, मानपुर, बहियाटिकुर, बोरी, बांदरी व धपेरा मो. शामिल है जहां भवन के अभाव में कुछ उपस्वास्थ्य केन्द्र आंगनवाड़ी केन्द्रों तो कुछ किराये के भवनों में संचालित हो रहे है।
आंगनवाड़ी संचालन में हो रही है परेशानी
स्वीकृत ६ उपस्वास्थ्य केंद्र आंगनवाड़ी केंद्रों में संचालित किये जा रहे है जिससे आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को आंगनवाड़ी के संचालन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि शासन की ओर से उन्हें आंगनवाड़ी संचालित करने के लिए केवल एक हाल व स्टोर दिया गया है जिस पर वे बच्चों को पढऩा, टीकाकरण, पोषण आहार का वितरण सहित शासन की विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन करती है। वहीं स्टोर रूम में पोषण आहार व बच्चों के खिलौने सहित अन्य जरूरी सामग्री रखते है परन्तु उपस्वास्थ्य केन्द्र का संचालन एक ही भवन में होने से उन्हे खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
नौनिहालों के स्वास्थ्य पर पड़ेगा बुरा असर
शासन के द्वारा नौनिहाल बच्चों के शारीरिक, मानसिक विकास के साथ ही प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने के लिए आंगनवाड़ी केन्द्र खोले गये है जिससे वे स्वस्थ माहौल में उनका बौध्दिक, शारीरिक विकास हो सके परन्तु कुछ आंगनवाड़ी केन्द्रों में उपस्वास्थ्य केन्द्र खुलने से बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है क्योंकि उपस्वास्थ्य केन्द्रों में सामान्य बीमारियों के मरीजों के साथ ही गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीज भी अपना उपचार करवाने पहुंचते है जिसमें टीवी, डायरिया, मलेरिया सहित अन्य बीमारी से ग्रसित लोग शामिल है। जिनका इलाज नौनिहाल बच्चों के बीच किया जाता है जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है और वे भी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो सकते है।

दूरभाष पर चर्चा में बीएमओं डॉ. ऋत्विक पटेल ले बताया कि लालबर्रा विकासखण्ड में कुल ३३ उपस्वास्थ्य केन्द्र है जिसमें ३ वर्ष पूर्व ६ नवीन उपस्वास्थ्य केन्द्र खोले गये है परन्तु शासन से भवन स्वीकृत नही हुआ है ऐसी स्थिति में आंगनवाड़ी केन्द्र व किराये के भवन में संचालित किया जा रहा है और शासन को मांग पत्र भेजा गया है, स्वीकृत होने पर भवन का निर्माण किया जायेगा।

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