पांच देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह ‘ब्रिक्स’ ने युद्धग्रस्त देश यूक्रेन के हालातों का ‘शांतिपूर्ण समाधान’ के लिए सभी अपेक्षित कोशिशों का समर्थन करते हुए दुनिया में बढ़ते व जारी संघर्षों को लेकर चिंता व्यक्त की है। समूह ने बातचीत के माध्यम से मतभेदों, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्र से इतर ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों ने गुरुवार को यहां मुलाकात की। ब्राजील के विदेश मंत्री कार्लोस अल्बर्टो फ्रेंको फ्रैंक, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर, चीन के विदेश मंत्री वांग यी और दक्षिण अफ्रीका गणराज्य की अंतरराष्ट्रीय संबंधों व सहयोग मंत्री नलेदी पैंडर इस बैठक में शामिल हुईं।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, मंत्री ‘सभी देशों की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने को प्रतिबद्ध हैं और उन्होंने वार्ता व परामर्श के माध्यम से देशों के बीच मतभेदों तथा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया। साथ ही यूक्रेन में स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सभी अनुकूल प्रयासों का समर्थन किया गया।’ बैठक की अध्यक्षता दक्षिण अफ्रीका ने की क्योंकि 2023 के लिए वही ब्रिक्स की अध्यक्षता कर रहा है।
बैठक के बाद जारी बयान के अनुसार, मंत्रियों ने ‘दुनिया के कई हिस्सों में बढ़ रहे व जारी संघर्षों को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के मानवीय सहायता संबंधी प्रावधानों के पूर्ण सम्मान की जरूरत पर जोर दिया, जो मानवता, तटस्थता, निष्पक्षता तथा स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों पर आधारित हो।’ इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की यूक्रेन पर बुलाई बैठक में कहा था कि यूक्रेन संघर्ष पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा था, ‘भविष्य और ज्यादा परेशान करने वाला दिख रहा है। परमाणु मुद्दा खास तौर पर चिंताजनक है।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के बीच हुई बातचीत को रेखांकित करते हुए जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करना और बातचीत की राह पर लौटना समय की जरूरत है। गौरतलब है कि मोदी ने पिछले हफ्ते उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की 22वीं शिखर बैठक के इतर पुतिन से कहा था, ‘आज का युग युद्ध का नहीं है।’