यूक्रेन में पढ़ने गए जिले के घंसौर व आदेगांव के 2 छात्र युद्ध शुरू होने के पहले ही यूक्रेन से निकल गए हैं। यूक्रेन से सुरक्षित निकलने के बाद छात्रों के स्वजनों ने कहा है कि आप उनकी जान में जान आई है। एक हफ्ते पहले से ही रूस और यूक्रेन के बीच बन रहे युद्ध के हालातों को देखकर स्वजन काफी चिंतित थे, लेकिन अब छात्रों के यूक्रेन से निकल जाने के बाद स्वजनों ने राहत की सांस ली है।
बढ़ गई थी चिंताएं: जिले के घंसौर निवासी मुन्नाप्रसाद साहू ने बताया कि उनका इकलौता बेटा शुभम डाक्टर की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन गया था। बीते कुछ दिनों से यूक्रेन व रूस के बीच चल रहे विवाद के बाद बेटे की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई थी। पिछले सप्ताह ही बेटे शुभम से बात होने के बाद यूक्रेन में बिगड़े हालातों की जानकारी मिलने से चिंताएं और बढ़ गई थी। इसी को लेकर शुभम ने 20 फरवरी की तारीख को स्वदेश लौटने के लिए यूक्रेन से दोहा तक की टिकट करवाई थी। इसके लिए अस्थाई वीजा बनाने की कार्रवाई भी की थी।
स्वदेश लौटने के दौरान दोहा में हुई दिक्कत: नईदुनिया से चर्चा के दौरान शुभम के पिता मुन्नाप्रसाद साहू ने बताया कि 20 फरवरी को उनका बेटा शुभम यूक्रेन से दोहा के लिए निकल गया था। कोरोना संक्रमण की 2-2 नेगेटिव रिपोर्ट होने के बावजूद दोहा में इन रिपोर्ट को मान्य नहीं किया गया। इसके कारण स्वदेश लौटने के दौरान दोहा में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ा। 15 घंटे दोहा में बिताने व फिर से वहां कोरोना की जांच होने के बाद शुभम दोहा से दिल्ली के लिए रवाना हुआ। उन्होंने बताया कि दोहा से दिल्ली के बाद इंदौर व वहां से 24 फरवरी की दोपहर शुभम जबलपुर पहुंच गया है। गुरुवार को ही देर शाम तक उनका बेटा नजरों के सामने होगा।
ताशकंद पहुंचा आयुष: जिले के लखनादौन विकासखंड के आदेगांव निवासी आयुर्वेदिक डाक्टर प्रवीण नेमा का पुत्र आयुष भी डाक्टर की पढ़ाई करने पिछले 3 सालों से यूक्रेन में था। यूक्रेन में हालात बिगड़ने से पहले ही आयुष ने स्वदेश लौटने की तैयारी शुरू कर दी थी। युद्ध शुरू होने के एक दिन पहले ही बुधवार को आयुष यूक्रेन से निकल गया था।आयुष के पिता ने बताया कि गुरुवार को दोपहर आयुष सुरक्षित ताशकंद पहुंच गया है। यहां से दिल्ली होते हुए वापस आदेगांव पहुंच जाएगा। आयुष व शुभम के पिता ने बताया है कि उनकी अपने बेटों से लगातार बात हो रही है।दोनों ही पूरी तरह सुरक्षित होने व किसी तरह की परेशानी नहीं होने की बात कह रहे हैं।इससे अब उनकी चिंताएं कम हो गई हैं।
अब कैसे पूरा होगा कोर्स, सता रही चिंता: घंसौर निवासी शुभम के पिता मुन्नाप्रसाद साहू ने नईदुनिया से चर्चा के दौरान बताया कि शुभम 5 सालों से यूक्रेन में डाक्टर की पढ़ाई कर रहा है।यूक्रेन की तरनोपिल स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी से शुभम ने पढ़ाई करते हुए नो सेमेस्टर निकाल लिए हैं।करीब एक साल का कोर्स और बचा है।अब यूक्रेन में युद्ध शुरू हो जाने से शेष बचा एक साल का काेर्स कैसे पूरा होगा इसकी चिंता सता रही है।










































