यूराेप के देशों में कट्टरपंथी संगठन फिर से सिर उठाने लगे हैं। जर्मनी और इटली में नाजी संगठनों के नए ग्रुप सामने आ रहे हैं। इन संगठनों को रूस से समर्थन मिलने की आशंका है।
जर्मनी में इस महीने लाेकतांत्रिक सरकार का तख्ता पलटने की साजिश सामने आने के बाद नव नाजी संगठनाें की सक्रियता सामने आई है। इसी महीने की शुरुआत में जर्मनी के एक राजघराने से जुड़े हेनरिक तृतीय (71) काे 24 सदस्याें के साथ तख्तापलट की साजिश के साथ गिरफ्तार किया गया था। इनमें एक रूसी नागरिक भी था।
जर्मनी के इंटेलीजेंस प्रमुख थाम्स हेल्डनवैंग का कहना है कि खूनी तख्तापलट की साजिश गंभीर मामला है। संगठन ने हथियार जमा करने भी शुरू कर दिए थे। सेना के कुछ लाेग भी इनके संपर्क में थे। जर्मनी के 16 राज्यों में इनका जाल फैल गया था। तब 3,000 पुलिस अधिकारियों ने 130 ठिकानों पर छापे मारे थे। दक्षिण जर्मनी में कुछ आर्मी बैरक सहित 50 जगहों से घातक हथियार बरामद हुए।
जर्मनी के न्याय मंत्री मार्को बुशमैन ने छापेमारी को ‘आतंकवाद विरोधी अभियान’ बताया। उन्होंने कहा था कि इन लोगों ने ‘डे एक्स’ की तैयारी की थी। इनकी मंशा संसद भवन और सत्ता पर कब्जा करने की थी। इंटेलीजेंस अफसराें का कहना है कि एक चरमपंथी संगठन रोषेनबुर्ग के सदस्य आधुनिक जर्मनी काे मान्यता नहीं देते, आज की टैक्स, अदालत, पुलिस, जैसी किसी व्यवस्था काे नहीं मानते।
20% जर्मन नागरिकाें के गुमराह हाेने का खतरा
कुछ स्टडी कहती हैं कि 20% जर्मन नागरिकाें का साजिश की थ्याेरी से गुमराह हाेने का खतरा हाेता है। वे रूसी दुष्प्रचार का शिकार भी हाे सकते हैं। बहुत से जर्मन नागरिक काेविड के बाद इन दिनाें माैजूदा राजनीतिक, आर्थिक माहाैल से खुश नहीं हैं। महंगाई बढ़ रही है।
इसके लिए वे सरकार काे दाेषी मानते हैं। इससे वे कई तरह के दुष्प्रचार का शिकार हाे जाते हैं जैसे वैक्सीन विराेधी आंदोलन। अगस्त 2020 में इसी तरह के संगठनाें ने जर्मन संसद में घुसने की काेशिश की थी।