इस्लाम धर्म के लोगों पर 5 फर्जों की अदायगी अनिवार्य की गई है इसमें रमजान के रोजे रखना भी एक अहम फर्ज है।अपनी इसी फर्ज की अदायगी के लिए प्रतिवर्ष मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान के महीने में पूरे 1 माह तक रोजा रख एक अल्लाह की विशेष इबादतें किया करते हैं।तमाम महीनों में अफ़ज़ल,अजीम नेमतों व बरकतों वाले इस माहे रमजान की आमद होने जा रही है।यदि आज 11 मार्च को चांद नजर आया तो रमजान का पहला रोजा 12 मार्च को होगा.अन्यथा 12 मार्च शाम से माहे रमजान की शुरूआत हो जायेगी।आपको बताए कि रमजान के पवित्र माह में पांचो वक्त की नमाज के अलावा तराबी की विशेष नमाज भी पढ़ी जाती है।वही मुस्लिम समाज के लोग इस विशेष महीने को इबादतों में गुजारते हैं जहां एक माहीने के रोजे रखने के बाद ईद का पर्व मनाया जाता है।
सभी कर रहे चाँद देखने का बेसब्री से इंतजार
माहे रमजान की आमद को लेकर जिले के मुस्लिम धर्मावलंबियो में बेसब्री से इंतजार है जिसकी घड़ी निकट आ गई है। माहे रमजान को लेकर मस्जिदो को सजाया गया है और पूरे महिने के लिए विशेष इबादत के माकूल इंतजाम भी कर लिए गए है। इसी क्रम में जिले की सभी मस्जिदो में हाफिजे कुरान, तरावी के रूप में कुरान सुनाने के लिए तैयार है और यह सिलसिला चाँद देखने की शाम से ही शुरू हो जाएगा।माहे रमजान में रोजदारों के लिए सेहरी और इफ्तारी का दौर प्रारंभ हो जायेगा। प्रातः निर्धारित समय पर सेहरी होगी और शाम में इफ्तार किया जायेगा।
रोजा लेगा इम्तेहान, साढ़े 13 घण्टे का होगा रोजा
इस वर्ष माहे रमजान रोजदारों का इम्तेहान लेगा। चूंकि वर्तमान में गर्मी का सीजन शुरू है और रोजा लगभग साढ़े 13 घंटे का होगा। वही आगामी समय मे गर्मी और बढ़ेगी, ऐसे मे रोजा रख इबादत करने वालो के लिए रमजान किसी इम्तेहान से कम नहीं होगा. जहां रोजोदारो ने इस इम्तेहान से गुजरने की तैयारी भी शुरू कर दी है.
गौसे आजम की यौमे पैदाईश का दिन
माहे रमजान के पूरे माह में कुछ खास तारीखें है, जिनको धर्मावलंबी और रोजदार, उन दिनों को बड़े ही अकीदत के साथ मनाते है। जिसमें माहे रमजान के पहले रोजे को गौसे आजम की यौमे पैदाईश है, इसी के साथ तीसरे, सत्रवें रोजे, इक्कीसवें रोजे एवं सत्ताईसवे रोजे का रमजान के महिने में विशेष महत्व है।
इसी माह में धरती पर नाज़िल हुआ था पवित्र कुरान
इस्लाम धर्म के अनुसार रमजान महिने के पूरे रोजे रखना हर मुसलमान पर फर्ज है, रोजे का अर्थ होता है रूकना, परहेज करना और दूर रहना, क्योंकि रोजदार सुबह सूरज निकलने से पहले और सूरज डूबने तक खाने-पीने और दूसरी तमाम बुराईयों से परहेज करता है। अगर कोई रोजदार इस समय के दौरान कुछ खा, पी, ले या दूसरी ख्वाहिश पूरी कर ले तो उसका रोजा टूट जाता है। ज्ञात हो कि इसी पवित्र माह रमजान में अल्लाह की पवित्र किताब ‘‘कुरान’’ पैगंबर हजरत मोहम्मद पर उतारी गई। जिसमें पूरी दुनिया के लोगों की भलाई और बेहतरी तथा अमन, शांति का संदेश दिया गया हैं।