नगर के वार्ड नं.६ लालबर्रा रोड़ स्थित रामदेव बाबा मंदिर में १३ अक्टूबर करवाचौथ के अवसर पर सामूहिक करवाचौथ मनाया गया। जानकारी के अनुसार प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी रामदेव बाबा मंदिर में करवाचौथ कार्यक्रम का आयोजन धार्मिक रिति रिवाज के अनुसार किया गया। जिसमें सुहागिन महिलाओं ने बड़ी संख्या में उपस्थिति दर्ज करवाकर अपने अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुये करवा देवी की पूजा अर्चना की। जिसमें सर्वप्रथम पूजा की सामग्री सॅजाकर करवा देवी एवं भगवान गणेश की कथा का पाठ कर करवा चौथ गीत गाकर पूजा की थाली को एक दूसरे के हाथ में देते हुये परिक्रमा करवाई गई और अपने अपने पति की उम्र को लेकर दीघार्यु होने की कामना की गई। विदित हो की करवाचौथ के दिन अलसुबह बहुओं को सगरी सॉस के दौरान प्रदान कि गई। साथ ही कुछ सुहाग साम्रगी भी दी गई। सभी सुहागिन महिलाऐं ने निर्जला व्रत धारण किया। फिर देर शाम पति के हाथ से पानी पीकर व्रत को खुलवाया। इस दौरान व्रत को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखा गया। जिन्होने सोलह श्रृंगार कर पूरी पूजा विधि विधान से की।
चांद के दीदार के बाद तोड़ा व्रत
गौरतलब है कि करवाचौथ अपने पति की दीघार्यु के लिये रखे जाने वाला कठिन व्रत है। जो कार्तिक महिने के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथी को सुहागिन महिलाऐं करवा चौथ का व्रत करती है। इस दिन निर्जला व्रत धारण कर पति की लंबी उम्र और सदा सौभाग्य की कामना कर आस्था और विश्वास के साथ सुहागिन महिलाओं ने व्रत धारण कर रात्री में चांद देखकर पति का दीदार किया। जिसके बाद पति ने अपनी व्रतधारी पत्नी को पानी व मीठा खिलाकर व्रत खुलवाया।
करवा देवी ने बचाई थी अपने पति की जान
गौरतलब है कि करवा देवी अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहती थी। एक दिन देवी करवा के पति स्नान करने इसी नदी के तट पर गये तो एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया और नदी के पानी में खींचने लगा। उन्होने करवा देवी को आवाज दी जिसके बाद करवा देवी नदी के तट पर पहुॅची और अपने पति की जान बचाई।
पद्मेश से चर्चा करतेे हुये पूर्व नपाध्यक्ष श्रीमति स्मिता जायसवाल ने बताया कि करवा चौथ का व्रत सामूहिक रूप से २० वर्षो से भी अधिक समय से रामदेव बाबा मंदिर में मनाया जा रहा है। जिसमें नगर की अनेकों सुहागिन महिलाऐं उपस्थित होकर पूजन अर्चना करती है। उनके द्वारा करीब ८ वर्षो से उक्त आयोजन में भाग लेकर पूजा अर्चना की जा रही है। श्रीमती जायसवाल ने बताया कि यह व्रत पति की दीघार्यु के लिये किया जाता है। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी सामूहिक व्रत का आयोजन किया गया है।
व्रत के संबंध में श्रीमती मंजू खोसला ने पद्मेश को बताया कि यह व्रत पति की दीघार्यु के लिये किया जाता है। प्रात:काल से ही महिलाऐं उठकर व्रत धारणा करती है जिसके बाद सोलह श्रृंगार कर पूरे दिन बगैर पानी के रहती है। इस दौरान महिलाऐं किसी भी प्रकार से कोई चीज नही खाती है। भगवान शिव के लिये भी माता पार्वती ने यह व्रत किया था। जिसके बाद से सदियों से सुहागिन महिलाऐं इस व्रत को धारण कर रही है। श्रीमती खोसला ने बताया कि इस वर्ष भी सभी महिलाऐं व्रत धारण कर बाबा रामदेव मंदिर में पूजा करने आयी है जो रात्री में चांद निकलने के बाद छलनी से अपने पति का दीदार करेंगी व इस व्रत को खोलेगी।