विदेशों में भी करेंगे भविष्य में निर्यातGwalior Railway News: ग्वालियर.। सिथौली स्थित रेलवे स्प्रिंग फैक्ट्री की मशीनों को और उन्न्त किया जाएगा। इससे रेलवे के लिए बनने वाली स्प्रिंग ज्यादा संख्या में बन सकेंगी। वर्तमान में अभी 1 लाख स्प्रिंग प्रतिवर्ष बनाई जा रही हैं, जबकि रेलवे को हर साल 1.5 लाख स्प्रिंग की जरूरत होती है। रेलवे की सप्लाई पूरी होने के कारण इन स्प्रिंगों को हम विदेशों में भी सप्लाई कर सकते हैं। यह बात ग्वालियर में सिथौली स्थित रेलवे स्प्रिंग फैक्ट्री के निरीक्षण के बाद उत्तर रेलवे मण्डल के महाप्रबंधक व्हीं के त्रिपाठी ने कही।महाप्रबंधक व्हीं के त्रिपाठी ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहाकि पहले स्प्रिंग फैक्ट्री में आइसीएफ कोचों के लिए स्प्रिंग बनती थी, लेकिन यहां पर उन्न्त मशीनरी लगाने के बाद अब एलएचबी कोचों के लिए भी स्प्रिंगें बन रही हैं। सिथौली स्थित फैक्ट्री में बनी स्प्रिंग की असफलता की दर काफी कम है। फैक्ट्री में उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए इसे और अधिक आधुनिक बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि जल्द ही रेलवे बोर्ड 6 अन्य ट्रेनों को भी चलाने जा रहा है, जिससे ग्वालियर के यात्रियों को काफी लाभ होगा। 10 अप्रेल तक और अधिक रेलें पटरियों पर दौड़ने लगेंगी। नैरोगेज को चलाने के बारे में पूछे गए प्रश्न के जबाब में महाप्रबंधक ने कहाकि अभी प्राथमिक तौर पर प्रदेश सरकार और आइआरसीटीसी के बीच बातचीत और चलाने की संभावनाओं को देखा जा रहा है। इस मामले में अभी रेलवे के पास कोई प्रस्ताव नहीं आया है। वहीं मलखान सिंह के मामले पर उन्होंने कहाकि अभी जांच चल रही है, जल्द ही जांच पूरी हो जाएगी इसके बाद निर्णय लिया जाएगा ।