लता मंगेशकर के निधन के बाद उनकी जन्मस्थली इंदौर में छाया शोक

0

भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर का मुंबई के अस्पताल में इलाज के दौरान रविवार सुबह निधन हो गया। इस समाचार के बाद लता मंगेशकर की जन्म स्थली इंदौर में उनके प्रशंसकों में शोक की लहर छा गई है। 28 सितंबर 1929 को इंदौर के सिख मोहल्ला में लता मंगेशकर का जन्म हुआ था। इंदौर जिला अदालत से लगी गली में उनकी नानी का घर था, यहीं से उनकी संगीत शिक्षा भी प्रारंभ हुई थी। इसके बाद उनका परिवार मुंबई में जाकर बस गया। इसी से लगे चौराहे और इस गली का नाम लता मंगेशकर के नाम पर रखने की घोषणा भी की गई है।

अगस्त 2005 पर आखिरी बार आई थीं इंदौर

naidunia

21 अगस्त 2005 की रात में लता जी आखिरी बार इंदौर आई थीं। भय्यू महाराज के बुलावे पर वे उनके आश्रम में ही रुकी थीं। अगले दिन 22 अगस्त को बड़ी संख्या में मीडियाकर्मियों का जमावड़ा आश्रम के बाहर सुबह से लग गया था। दोपहर में उन्होंने मीडिया से बात करने का समय दिया। आश्रम में पूजन के बाद वे बाहर ही आईं भीड़ देखकर परेशान हुईं। कुछ देर संबोधित करने के बाद वे चली गई। लता जी के साथ उनकी बहन उषा मंगेशर और अन्य परिजन भी साथ आये थे। यह तस्वीर हमारे फोटो जर्नलिस्ट प्रफुल्ल चौरसिया आशु ने उस समय ली थी।

इंदौर में जहां उनका जन्म हुआ वहां अब कपड़ों का शोरूम

इंदौर के सिख मोहल्ला के मकान नंबर 22 में जहां लता मंगेशकर का जन्म हुआ और उनक परिवार रहता था वहां आज कपड़ों का एक शोरूम हैं। कपड़े के शोरूम के अंदर लता मंगेशकर का म्यूरल लगा है और यहां केवल उन्हीं के गाने बजाए जाते हैं। इंदौर शहर स्वच्छता में नंबर वन रहने के साथ भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर की जन्म स्थली के रूप में भी जाना जाता रहेगा।

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर दी श्रद्धांजलि

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्विट कर कहा, स्वर साम्राज्ञी, परम श्रद्धेय लता मंगेशकर जी के निधन से अन्तर्मन दुख, पीड़ा, शोक से व्यथित है। देश ही नहीं, समूचे विश्व ने एक ऐसी स्वर साधिका को खो दिया, जिन्होंने अपनी मधुर आवाज से जीवन में आनंद घोलने वाले असंख्य गीत दिए। लता दीदी का तपस्वी जीवन स्वर साधना का अप्रतिम अध्याय है। आपका जीवन हिंदी फिल्म जगत के साथ ही भारतीय संगीत की ऐसी अद्भुत यात्रा रही, जिसने कई पीढ़ियों को मानवीय संवेदनाओं को जीवंत करते गीत-संगीत से जोड़ा। फिल्म जगत के उद्भव से अत्याधुनिक युग में प्रवेश करने तक दीदी सहयोगी से संरक्षक तक की भूमिका में रहीं। आपका योगदान अविस्मरणीय रहेगा। गीत-संगीत के प्रति समर्पण से परिष्कृत आपका व्यक्तित्व शालीनता, सौम्यता व आत्मीयता की त्रिवेणी रहा, जो कला साधकों को अनंतकाल तक प्रेरित करता रहेगा। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें। अपनी सुमधुर अमर आवाज से लता दीदी सदैव हम सभी के बीच रहेंगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here