लश्कर की सड़काें पर खड़े हाेते हैं 8545 वाहन, बाड़े पर भी समस्या

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शहर में यातायात खस्ताहाल है, सड़कों पर वाहन चलाना तो दूर पैदल चलना भी आसान नहीं रहा है। जगह-जगह जाम लगना भी आम बात हो गई है। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा यूएमटीसी (अर्बन मास ट्रांजिट कंपनी) से शहर में यातायात का सर्वे कराकर रोड मैप तैयार कराया जा रहा है। अधिकारियों की मानें तो इस सात माह के सर्वे के बाद सुगम यातायात का रास्ता साफ हो जाएगा।

यूएमटीसी द्वारा अभी तीन माह के सर्वे में सामने आया है कि महाराज बाड़ा व आसपास के क्षेत्र दौलतगंज, सराफा बाजार, कंपू सहित जिंसी नाला, हुजरात कोतवाली आदि सड़कों पर प्रतिदिन औसतन 8545 दो पहिया व चार पहिया वाहन पार्क होते हैं। वहीं 74 प्रतिशत लोग आवागमन में निजी वाहनों का उपयोग करते हैं। वहीं शहर में चलने वाले सवारी वाहनों में 83 प्रतिशत वाहन सीएनजी से चलते हैं, जबकि पांच फीसद डीजल से। इसके अलावा बदहाल यातायात व्यवस्था के कारण महाराज बाड़ा और उसके आसपास के क्षेत्र में वाहन औसत 15 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल पाते हैं। बाड़ा क्षेत्र में सड़कों पर निजी व सवारी वाहन खड़े होने से लोगों को पैदल चलने तक की जगह नहीं बचती, यहां अधिकांश समय जाम भी लगा रहता है। 48 प्रतिशत दो पहिया वाहन और 34 प्रतिशत चार पहिया वाहन सड़कों पर खड़े होते हैं, जबकि 18 प्रतिशत सवारी वाहन भी सड़कों पर रुके रहते हैं।

किस सड़क पर कितने वाहन होते हैं पार्कः

-1213 वाहन हुजरात कोतवाली रोड

-1253 वाहन शिवाजी रोड से छप्पर वाला पुल

-770 वाहन सराफा बाजार महाराज बाड़ा

-1130 वाहन लक्कड़खाना तिराहे से कंपू

-543 वाहन जिंसी राेड नंबर दाे

-659 वाहन दाैलतगंज से बाड़ा

-2413 पाटनकर बाजार राेड

(नाेटः उपरोक्त सभी आंकड़े यूएमटीसी कंपनी द्वारा तीन माह के सर्वे में सामने आए हैं।)

निम्न व मध्यम वर्ग के लोगों के प्रतिदिन यात्रा का गणित

-40 प्रतिशत मध्यम वर्ग के लाेग निजी वाहन का उपयोग करते हैं।

-14 प्रतिशत लाेग आटो रिक्शा का उपयोग करते हैं।

-09 प्रतिशत लोग ई रिक्शा का प्रयाेग करते हैं।

-01 प्रतिशत लाेग निजी वाहनाें का उपयाेग करते हैं।

-11 प्रतिशत विक्रम टेंपाें का प्रयाेग करते हैं।

10 साल से अधिक पुराने आटाे शहर से हाेंगे बाहरः शहर की यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए 10 साल पुराने आटो को सबसे पहले बाहर किया जाएगा। इनकी न फिटनेस होगी और न परमिट मिलेगा। उसके बाद टेंपो को भी विस्थापित किया जा सकता है। परिवहन विभाग ने इस पर विचार करना शुरू कर दिया है। क्योंकि आटो व टेंपो सड़कों पर ज्यादा जगह घेर रहे हैं, जिससे शहर की यातायात व्यवस्था बिगड़ रही है। साथ ही जगह-जगह जाम की स्थिति बन रही है। अगले एक महीने में इसकी गाइडलाइन तय की जा सकती है। शहर की यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए परिवहन विभाग, ट्रैफिक पुलिस व नगर निगम की संयुक्त रूप से दो बैठकें हो चुकी हैं। इन बैठकों में 10 साल पुराने आटो को बाहर करने व टेंपो को विस्थापित किए जाने पर विचार किया गया है। जिससे इनकी संख्या सीमित हो सके। यदि पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बस जगह लेती है तो सड़कों की स्थिति सुधरेगी, क्योंकि यह आटो व टेंपो की तरह हर जगह खड़ी नहीं होंगी।

शहर में टमटम की भी संख्या बढ़ीः

-शहर में ई रिक्शा (टमटम) भी लगातार बढ़ रहे हैं। वर्तमान में शहर में तीन हजार से अधिक टमटम वाहन दौड़ रहे हैं। ये स्टेशन व बस स्टैंड के आसपास ज्यादा चल रहे हैं। यह भी झुंड बनाकर सड़कों पर खड़े होते हैं जिससे ट्रैफिक जाम होता है।

-शहर में करीब तीन हजार आटो ऐसे हैं, जिनकी उम्र 10 साल से अधिक हो चुकी है। यह 2011 से सीएनजी में रजिस्टर्ड हो रहे हैं, लेकिन बाहर नहीं हुए हैं। यही कारण है कि यह शहर में धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं।

-शहर में 1265 तिपहिया व चार पहिया टेंपो चल रहे हैं। यह भी सीएनजी में बदल चुके हैं।

वर्जन-

शहर की यातायात व्यवस्था पर योजना बनाने के लिए एक महीने का समय है। हर बिंदु पर विचार किया जा रहा है। 10 साल पुराने आटो को शहर से बाहर किया जाएगा। आटो की संख्या भी सीमित करने पर विचार किया जा रहा है।

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