बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) से हरी-झंडी मिलने के बाद देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने विभिन्न लॉ कोर्स की परीक्षा का रास्ता साफ हो गया है। मंगलवार को विश्वविद्यालय प्रशासन ने ओपन बुक पद्धति से परीक्षा करवाना तय किया है, जिसमें दूसरा, चौथा, छठा, आठवां और दसवां सेमेस्टर शामिल है। परीक्षा को लेकर आवेदन जून आखिरी सप्ताह से बुलाए जाएंगे। जुलाई में पेपर अपलोड होंगे। जबकि महीनेभर के भीतर रिजल्ट देने पर जोर दिया है। मामले में बोर्ड ऑफ स्टडी ने फैसला दे दिया है। अधिकारियों के मुताबिक अगले कुछ दिनों में परीक्षा की प्रक्रिया शुरू करेंगे। वैसे रिजल्ट अगस्त तक दिया जाएगा।
एलएलबी, एलएलएम, बीएएलएलबी, बीकॉमएलएलबी, बीबीएएलएलबी सहित अन्य लाॅ कोर्स की परीक्षाएं महीनों से अटकी थी। बीते दिनों बीसीआइ ने परीक्षा पद्धति को लेकर विश्वविद्यालयों पर फैसला छोड़ दिया। आदेश मिलने के बाद विश्वविद्यालय ने मंगलवार को बोर्ड ऑफ स्टडी और परीक्षा समिति की बैठक बुलाई है। ऑनलाइन और ओपन बुक पद्धति के आधार पर परीक्षा को लेकर मंथन शुरू हुआ।
ज्यादातर सदस्यों ने ओपन बुक पद्धति पर सहमति जताई। विश्वविद्यालय ने तय किया है कि विभिन्न लाॅ कोर्स के दूसरे, चौथे, छठे, आठवें और दसवें सेमेस्टर की ओपन बुक पद्धति से परीक्षा लेंगे। जबकि पहले, तीसरे, पांचवे, सातवें और नौवे सेमेस्टर के विद्यार्थियों का मूल्यांकन असाइनमेंट के आधार पर किया जाएगा।
परीक्षा नियंत्रक डाॅ. अशेष तिवारी का कहना है कि परीक्षा के आवेदन 25 जून बाद बुलाएंगे। विद्यार्थियों को 20 जुलाई तक समय दिया जाएगा। इसके बीच परीक्षा का शेड्यूल भी जारी करेंगे। संक्रमण की वजह से परीक्षाएं काफी प्रभावित हुई है। इसलिए मूल्यांकन को जल्द शुरू करेंगे।
13 हजार विद्यार्थी होंगे शामिल
विश्वविद्यालय के दायरे में करीब 14 लॉ कालेज है। यहां से एलएलबी-एलएलएम सहित अन्य कोर्स में 13 हजार विद्यार्थी है। परीक्षाएं चार महीने देरी से करवाई जा रही है। एलएलबी अंतिम सेमेस्टर के कई विद्यार्थियों को एलएलएम दाखिला लेना है। इसके लिए विश्वविद्यालय के सामने जल्द परीक्षा करवाने की गुहार लगा रहे हैं।
ऑनलाइन परीक्षा का विरोध
विश्वविद्यालय ने मार्च में कुछ लाॅ कोर्स की परीक्षा करवाई थी। उस दौरान बीसीआइ ने ओपन बुक पद्धति से परीक्षा लेने से माना कर दिया है। यही वजह है कि विश्वविद्यालय ने आनलाइन परीक्षा करवाई। जहां विद्यार्थियों को तीन घंटे में प्रश्न पत्र अपने-अपने घरों में बैठकर लिखाना होता था। जबकि घंटेभर का समय कापी अपलोड करने के लिए रहता था। साथ ही विवि ने संग्रहण केंद्र में कापी भिजवाने की व्यवस्था भी रखी थी। मगर बाद में विद्यार्थियों ने आनलाइन परीक्षा का विरोध किया। वहीं विश्वविद्यालय के अधिकारी भी आनलाइन परीक्षा करवाने को राजी नहीं थे।