प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी लोधी महासभा महिला मोर्चा के द्वारा 1 सितंबर को लोधी समाज की गौरवशाली प्रथा भुजलिया पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया जिसके तहत लोधी समाज की महिलाओं ने सोलह श्रृंगार कर अपने-अपने घरों से टोकनिया में भुजीली लेकर निकाली जो रानी अवंती बाई चौक पहुंची। जहां पर समस्त महिलाओं द्वारा सामूहिक रूप से रानी अवंती बाई की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर विशेष पूजा अर्चना कर जय घोष के नारों के साथ शोभायात्रा निकालकर मोती तालाब पहुंची जहां पर महिलाओं ने भुजलिया का मउर की सामूहिक रूप से पूजा अर्चना की और इसका विसर्जन कर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। आपको बता दे की रक्षाबंधन के नौ दिनों पहले भुजलियां को बोया जाता है और रक्षाबंधन के दूसरे दिन से इसके विसर्जन का सिलसिला प्रारंभ हो जाता है। इसी कड़ी में बुढ़ी से लोधी समाज की महिलाओं द्वारा भुजलिया पर्व मनाया गया। और शहनाई ढोल पर भुजलिया शोभायात्रा निकालकर इसका विसर्जन किया गया। लोधी समाज की वरिष्ठ महिला मालिनी लिल्हारे ने बताया कि जब घर में नई बहु आती है तो मोर निकालने की परंपरा के तहत भुजलियां का पर्व मनाया जाता है, भुजलिया को रक्षाबंधन के पहले 9 दिनों पहले बोई जाती है। यह परंपरा आला-उदल के समय से प्रचलित है, जब वह लड़ाई जीतकर घर लौटे थे, तब से यह परंपरा निभाई जा रही है। कोसमी सरपंच अंबिका गगन नगपुरे ने बताया कि यह लोधी छत्रीय समाज की परंपरा है यह पूर्वजो से चली आ रही है। और कहा जाता है कि भुजली जितनी अच्छी आती है तो फसले भी उतनी ही अच्छी होती है। यह परंपरा आल्हा ऊदल के जमाने से चली आ रही है कहा जाता है कि आल्हा जी की जब घर पर बहने आई थी तब उनका स्वागत भुजली बोकर किया गया था। और इसे हरियाली महोत्सव के रूप में मनाया गया था। इसी तारतम में समाज की महिलाओं द्वारा घरो में बोई गई कजलियों को आज महिलायें अपने घर से लेकर निकली और मोती ताल में पहुंचकर यहां गीत-गायन और परंपरानुसार इसका विसर्जन किया गया। उन्होंने बताया कि यह परंपरा आला उदल के समय से जारी है।