1980 मास्को ओलिंपिक की स्वर्ण पदक विजेता टीम के सदस्य और मध्य प्रदेश राज्य हॉकी अकादमी के मुख्य कोच राजिंदर सिंह ने भारत की इस जीत को देश की हॉकी के लिए एक मील का पत्थर बताया है। उन्होंने कहा कि इस जीत से एक बार फिर भारत में हॉकी के लिए माहौल तैयार हो जाएगा। मप्र अकादमी में रहे विवेक सागर और नीलाकांता ने भी पूरे टूर्नामेंट में अपनी उपयोगिता साबित कर भारत की कांस्य पदक विजेता टीम का हिस्सा बनने का गौरव हासिल किया है। ओलिंपिक में खेलना और पदक जीतना सभी एथलीट का सपना होता है। आज यह सम्मान विवेक और नीलाकांता ने प्राप्त किया है।
1983 के क्रिकेट वर्ल्ड कप की तरह हॉकी के लिए भी यह यादगार है
उन्होंने कहा कि हॉकी का गौरवशाली इतिहास रहा है, लेकिन पिछले तीन-चार दशकों से हाकी का भारत में पतन हुआ है, लेकिन अब हॉकी फिर से अपनी पुरानी चमक बिखेर रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह 1983 के वर्ल्ड कप जीत ने क्रिकेट को घर घर तक पहुंचा दिया है, उसी तरह ओलिंपिक की यह जीत हॉकी को वह मुकाम दिला सकती है। भारत को अब अपनी लय को बरकरार रखते हुए अब एशियन गेम्स और वर्ल्ड में भी जीत दर्ज करना होगी।