भोपाल में स्थित पुलिस आइटीआइ ने विभिन्न् विश्वविद्यालयों से एमओयू साइन किए हैं। इसके तहत परंपरागत पाठ्यक्रमों के अलावा पत्रकारिता, वीडियो एडिटिंग, फैशन डिजाइनिंग जैसे नए डिप्लोमा और डिग्री कोर्स भी शुरू किए जा रहे हैं। इनमें प्रवेश के लिए प्रक्रिया दिसंबर से शुरू होगी। एमओयू के तहत इन आइटीआइ में पाठ्यक्रमों का शुल्क मूल फीस का आधा रहेगा। पुलिसकर्मियों के बच्चों के बाद सीट रिक्त रहने पर आम विद्यार्थियों को भी इसमें प्रवेश देने का प्रविधान है। उनके लिए भी शुल्क आधा ही रहेगा।
पुलिस आइटीआइ इंदौर और भोपाल में हैं। जिन विवि से करार हुआ है, उनके लिए विशेषज्ञ इन आइटीआइ में आकर प्रशिक्षण देंगे। पुलिस आइटीआइ भोपाल की प्राचार्य/अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुमन गुर्जर ने बताया कि परंपरागत कोर्स के अलावा ये नए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पुलिस परिवार के बच्चों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में सहायक होंगे। प्रवेश प्रक्रिया पूर्व की तरह ही होगी।
आइटीआइ परिसर में छात्र/छात्राओं के होस्टल, लायब्रेरी, हॉस्पिटल/ओपीडी, मेस तथा शासन नियमानुसार स्कालरशिप की सुविधा भी उपलब्ध है। इस वर्ष प्रवेश प्रक्रिया के दौरान 160 उपलब्ध सीटों के विरूद्ध 997 अभ्यार्थियों ने इस संस्थान के लिए आवेदन किए हैं। इन पाठ्यक्रमों के लिए प्रदेश के किसी भी जिले में कार्यरत पुलिसकर्मियों के बच्चे आवेदन कर सकते हैं।
यह हैं नए पाठ्यक्रम
आइटीएम यूनिवर्सिटी से हुए करार के तहत छह-छह माह के छह पाठ्यक्रम होंगे। इनमें फैशन डिजाइनिंग, कम्यूनिकेशन स्किल, डिजीटल फोटोग्राफी, डिजीटल कम्यूनिकेशन, पत्रकारिता, मॉस कम्यूनिकेशन जैसे कोर्स हैं। इन सभी के लिए निर्धारित स्थान 30-30 रहेंगे।
स्कूल आफ ब्राडकास्टिंग एंड कम्यूनिकेशन (एसबीसी) मुंबई से हुए करार के तहत एंकरिंग एवं टीवी होस्टिंग, कॉपी राइटिंग फार एडवरटाइजिंग, डाक्यूमेंटरी फिल्म मेकिंग, फिल्म एंड टीवी प्रोडक्शन, मोबाइल जर्नलिज्म, फोटोग्राफी एंड वीडियोग्राफी, पब्लिक रिलेशन, रेडियो जाकी एंड वायसिंग, रिपोर्टिंग, स्क्रिप्ट राइटिंग, थियेटर एंड एक्टिंग, वीडियो एडिटिंग आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
भविष्य के लिए बड़ा बदलाव है
आइटीआइ के पुराने पाठ्यक्रमों में युवाओं की रूचि कम हो रही है। रोजगारोन्मूलक पाठ्यक्रम समय की मांग है। हमारे अधिकारियों ने इस दिशा में सोचा और उनके प्रयास से प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों से करार हुए हैं। यह भविष्य के लिए बड़ा बदलाव है। समय के साथ इसमें और सुधार किया जाएगा। पुलिसकर्मियों के बच्चों के लिए यह बड़ी राहत है।