शहर में इन दोनों महापुरुषों की प्रतिमाएं विज्ञापन का केंद्र बनते नजर आ रही है जबकि देखा जाए तो शहर में प्रमुख चौक चौराहों पर लगी महापुरुषों की प्रतिमा इसलिए भी लगाई गई है कि इन प्रतिमाओं को देखकर बाहर से आने वाले लोग को यह पता चले कि यह कौन सा चौक है और यहां किन महापुरुषों की प्रतिमा लगाई गई है किंतु वर्तमान समय में अधिकतर यह देखने को मिल रहा है कि जो शहर के प्रमुख चौक चौराहों में लगी महापुरुष की प्रतिमा अब विज्ञापन का केंद्र बनने लगी है ताजा मामला काली पुतली चौक और अवंती बाई चौक स्थित मुलाना जी की प्रतिमा का है जो कि इन दोनों विज्ञापन का केंद्र बनी हुई है
आपको बता दें कि शहर में इन दिनों जब भी कोई जनप्रतिनिधियों का आगमन होता है या कोई बड़ा नेता शहर में आता है तो शहर में लगी महापुरुषों की प्रतिमा अक्सर विज्ञापन का केंद्र बनी हुई नजर आती है और ऐसा ही नजारा इन दिनों शहर के काली पुतली चौक स्थित काली पुतली का है तो वही रानी अवंती बाई चौक स्थित मुलना जी की प्रतिमा का है जहां पर स्वयं सत्ताधारी पार्टी के ही पदाधिकारियों द्वारा अपने आप को दिखाने के लिए इन महापुरुषों की प्रतिमाओं के सामने अपने बैनर फ्लेक्स खड़े कर दिए गए हैं जिससे कि अब कोई भी यदि नए व्यक्ति शहर में आता है तो उसे यह पता नहीं चलेगा कि इन होल्डिंग्स के पीछे किन महापुरुषों की प्रतिमाएं हैं जबकि एक बार हई नगर पालिका परिषद की बैठक में इस बात का विरोध भी किया गया था कि शहर के प्रमुख चौक चौराहाओं की प्रतिमाओं पर कोई भी होल्डिंग या फ्लेक्स नहीं लगाएगी और यदि कोई ऐसा करते पाया जाता है तो स्वयं नगर पालिका उनका चालान काटकर जुर्माना वसूल करेगी किंतु जब सत्ताधारी पार्टी के लोगों द्वारा ही इस नियम की धज्जियां उड़ाई जाएगी तो भला इनका चलन और इनसे जुर्माना कौन वसूल करेगा इस कारण यह सभी नियम आज हवा हवाई बनकर रह गए हैं और आज जो लोग नगरपालिका के जनप्रतिनिधि बनकर बैठे हैं उन्हीं के साथी आज शहर के प्रमुख चौक चौराहों में लगी प्रतिमाओं के सामने अपनी होल्डिंग एवं बैनर फ्लेक्स लगा रहे हैं
जबकि अभी कुछ दिन पहले ही नगर पालिका द्वारा एक वर्ग विशेष की लगी होल्डिंग के लिए शासन विरुद्ध होल्डिंग होने की वजह से उसे आला अधिकारियों के कहने पर हटाने का काम किया जा रहा था जबकि वह होल्डिंग विधिवत नगर पालिका से अनुमति लेकर लगाई गई थी किंतु वह होल्डिंग शासन के खिलाफ होने के कारण उसे नगर पालिका द्वारा दलबल के साथ जाकर हटाने का काम किया जा रहा था वही नगर पालिका से कुछ ही मीटर दूर कालीपुतली चौक और अवंती बाई चौक है जहां पर महापुरुषों की प्रतिमा विज्ञापन का केंद्र बनते नजर आ रही है पर यहां पर किसी भी नगर पालिका के कर्मचारी एवं अधिकारियों की दृष्टि नहीं पहुंच पा रही है और ना ही इन होल्डिंगों पर किसी प्रकार की कार्रवाई नगर पालिका कर रही है इस प्रकार की दोहरी नीति क्यों चल रही है यह तो समझ के पार है क्योंकि जहां एक और सत्ताधारी लोगों की होल्डिंग यदि प्रतिमाओं के सामने भी लगती है तो उसे कोई नहीं हटता और वहीं यदि किसी वर्ग विशेष द्वारा प्रशासन का विरोध कर कोई बैनर फ्लेक्स लगाया जाता है तो उसे जिला प्रशासन तत्काल ही हटाता है इन सब को देखते हुए कहीं ना कहीं यह साबित हो रहा है कि जिस प्रकार से यह दोहरी नीति नगर पालिका के द्वारा की जा रही है वह सभी के समझ के परे है